14 फरवरी, पूरा देश वैलेंटाइन डे मना रहा था। हालांकि सुरक्षा बलों के जवानों के बीच वेलेंटाइन डे बहुत लोकप्रिय नहीं है। फिर भी श्रीनगर में ड्यूटी पर वापस लौट रहे सीआरपीएफ की 76वीं बटालियन के 2500 से ज्यादा जवान खुश थे, क्योंकि छुट्टी से लौटकर ड्यूटी पर जाने का उत्साह उनमें था।
जम्मू से तड़के 2.33 बजे जब सारे जवान रवाना हुए थे, तो उन्हें एसहास था कि उनका सफर यादगार रहेगा और खुशगवार भी। लेकिन इस बात का कतईअंदाज़ा नहीं था कि रास्ते में मौत उनका पीछा कर रही है। सीआरपीएफ के सूत्रों का कहना है कि करीब 2500 जवानों को 78 वाहनों में एक साथ सड़क मार्ग से भेजना असमान्य था। इस काफिल में 16 वाहन दोपहर करीब 2.15 बजे काजीगुंड से जुड़े थे।
Published: 17 Feb 2019, 12:00 AM IST
सड़क लगभग वीरान थी, और सुरक्षा की दृष्टि से यह एक आदर्श स्थिति रहती, क्योंकि पिछले कुछ दिनों से खराब मौसम की वजह से जम्मू-श्रीनगर राजमार्ग पर यातायात न के बराबर था। काफिला घटना से केवल एक घंटे दूर -काजीगुंड से करीब 60 किलोमीटर पर पुलवामा के लाथपोरा में था।
इस काफिले की सुरक्षा को लगभग हरी झंडी दे दी गई थी। सीआरपीएफ की रोड ओपनिंग पार्टी(रोप) रोज सुबह आईईडी की उपस्थिति को जांचने के लिए राजमार्गो की जांच करती है। क्षेत्र में सेना की बहुलता है और राजमार्गो पर हमेशा तत्काल प्रतिक्रिया समूह मौजूद रहता है।
काफिला जैसे ही श्रीनगर से 27 किलोमीटर पहले लेथपोरा पहुंचा, एक पीछा कर रही विस्फोटक से भरी कार ने काफिले की पांचवी बस को बांयी तरफ से टक्कर मार दी। एक जोरदार धमाका हुआ और सबकुछ धुएं के गुबार में छिप गया। इस दौरान फायरिंग की आवाज़ें भी सुनी गईं, लेकिन कोई नहीं जानता कि फायरिंग किधर से और किसने की। इस धमाके में पांचवीं बस पूरी तरह नष्ट हो गई। विस्फोट से दूसरी बस को भी नुकसान पहुंचा।
काफिले में मौजूद सीआरपीएफ के एक जवान ने कहा कि जबरदस्त धमाके ने सभी को चौंका दिया। वहां केवल अफरा-तफरी और भ्रम की स्थिति थी, “मैं वहां केवल धुआं देख पा रहा था।” जवान ने कहा कि, "हमें हमारे वाहनों में वापस जाने के लिए कहा गया।"
सीआरपीएफ के एक अन्य जवान ने कहा, "हमें वाट्सअप संदेश के जरिए इस विस्फोट के बारे में जानकारी मिली। जैसे ही हम बस से नीचे उतरे, हमने अफरा-तफरी देखी-हमने हमारे साथियों के बुरी तरह से जले और कटे हुए अंग देखे और सुलगती हुई आग देखी।"
विस्फोट के तुरंत बाद पाकिस्तान स्थित जैश-ए-मोहम्मद ने हमले की जिम्मेदारी ली। उसने कहा कि दक्षिण कश्मीर के पुलवामा जिले के एक स्थानीय फिदायीन अदिल अहमद डार ने यह हमला किया। इसके साथ ही संगठन ने डार का एक वीडियो भी जारी किया।
हमले की जांच कर रहे राष्ट्रीय जांच एजेंसी के सूत्रों ने कहा कि डार ने संभवत: 150 किलोग्राम अमोनियम नाइट्रेट(सुपर 90)-एक उर्वरक जिसका कम तीव्रता के धमाके के लिए प्रयोग किया जाता है, का प्रयोग किया। जांच अभी शुरुआती दौर में है, इसलिए एनआईए सूत्रों ने पुलवामा हमले में आरडीएक्स के प्रयोग या दो विस्फोटकों की संभावना से इनकार नहीं किया है।
Published: 17 Feb 2019, 12:00 AM IST
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Published: 17 Feb 2019, 12:00 AM IST