हालात

बिकरू में भटक रही गैंगस्टर विकास दुबे की आत्मा? ग्रामीण बोले- शाम ढलते ही खंडहर पर आता है नजर!

लोगों का दावा है कि वहां आज भी गोलियों की आवाज सुनाई देती है। गांव के ही एक बुजुर्ग कहना है कि उन्होंने अक्सर विकास दुबे को उसके घर के खंडहर में बैठे और मुस्कुराते हुए देखा है। यह कुछ ऐसा है जैसे वह हमें कुछ बताने की कोशिश कर रहा है। उन्होंने आगे कहा कि वह अपनी मौत का बदला लेगा।"

फोटो: सोशल मीडिया
फोटो: सोशल मीडिया 

कानपुर एनकाउंडर में गैंगस्टर विकास दुबे के ढेर होने के बाद से ही उसके गांव बिकरू में सब कुछ बदल गया है। जैसा पहले माहौल था उस उसका उलट है। यानी जैसे ही बिकरू गांव में सूरज डूबता है, लोग जल्दी-जल्दी अपने अपने घर लौटने लगते हैं। इतना ही नहीं शाम ढलते ही लोग अपने घरों के दरवाजे भी बंद कर लेते हैं।

Published: undefined

आपको बता ये दास्तां उत्तर प्रदेश के उस गांव की है जिसने हाल के दिनों में सबसे भायवह खूनखराबा वाला मंजर देखा था। अब पहले की तरह लोग दिन में या शाम को बैठकर बातें नहीं करते हैं। सूरज डूबते ही एक भयानक सन्नाटा बिकरू को घेर लेता है। बिकरू हत्याकांड को हुए लगभग ढाई महीने हो चुके हैं, जिसमें आठ पुलिसकर्मी मारे गए थे। बिकरू के लोग हालांकि पूरे विश्वास के साथ कहते हैं कि वे अब भी रात में गोलियों की आवाज सुनते हैं।

Published: undefined

गांव के एक युवक ने नाम जाहिर न करने का आग्रह करते हुए कहा, "आज भी गोलियों की आवाज सुनाई देती है। सब जानते हैं, पर बोलता कोई नहीं। कुछ लोगों ने तो विकास भैया (विकास दुबे) को देखा भी है।" स्थानीय लोगों ने दबी जुबान में दावा किया कि उन्होंने अक्सर विकास दुबे को उसके घर के खंडहर में बैठा देखा है। आपको बता दें, दो-तीन जुलाई की रात को बिकरू हत्याकांड के बाद विकास दुबे के घर को सरकार ने तोड़ दिया था।

Published: undefined

एक बुजुर्ग ने दावा किया, "हमने उसे वहां बैठे और मुस्कुराते हुए देखा है। यह कुछ ऐसा है जैसे वह हमें कुछ बताने की कोशिश कर रहा है। हमें यकीन है कि वह अपनी मौत का बदला लेगा।" विकास दुबे के ध्वस्त घर के पास रहने वाले एक परिवार का दावा है कि उन्होंने कई तरह की आवाजें भी सुनी हैं। एक महिला ने कहा, "एक से ज्यादा मौकों पर, हमने खंडहर में लोगों को किसी बात पर चर्चा करते हुए सुना है, हालांकि आवाज साफ सुनाई नहीं दी। बीच में थोड़ा हंसी-मजाक भी चलने का आभास हुआ। यह काफी हद तक वैसा ही था, जैसा विकास के जिंदा रहने के दौरान घर में होता था।"

Published: undefined

उधर, हत्याकांड के बाद बिकरू गांव में चार पुलिसकर्मी- दो पुरुष और दो महिलाएं तैनात हैं। उनमें से किसी ने भी रिकॉर्ड पर, गोलियों की आवाज सुनने या या विकास दुबे को देखने की बात नहीं स्वीकारी। उनमें से एक ने कहा, "हमें अपनी ड्यूटी करने में कोई दिक्कत नहीं है।" और आगे बात करने से इनकार कर दिया। एक स्थानीय पुजारी का कहना है कि स्थानीय लोगों के दावों को खारिज नहीं किया जा सकता।

Published: undefined

उन्होंने कहा, "ऐसे मामलों में जहां अकाल मृत्यु हुई होती हैं, ऐसी घटनाएं होती हैं। विकास दुबे के मामले में अंतिम संस्कार ठीक से नहीं किया गया और मृत्यु के बाद की रस्में भी नहीं की गईं। ऐसा ही उसके पांचों साथियों के साथ हुआ है जो मुठभेड़ों में मारे गए थे।" ग्रामीणों ने एक स्थानीय पुजारी से 'परेशान भटकती आत्माओं' की तृप्ति के लिए 'पितृ पक्ष' की अवधि में विशेष पूजा कराने के लिए कहा, लेकिन पुजारी ने यह कहते हुए मना कर दिया कि वह पुलिस के रडार पर नहीं आना चाहते। एक ग्रामीण ने कहा, "हम नवरात्रि के दौरान पूजा कराने की कोशिश करेंगे, ताकि हत्याकांड और उसके बाद के मुठभेड़ में मारे गए सभी लोगों, पुलिसकर्मियों की आत्मा को शांति मिल सके।"

Published: undefined

Google न्यूज़नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें

प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia

Published: undefined