कोरोना वायरस से फरवरी में करीब 20 हजार लोग बीमार हो रहे थे। अप्रैल का दूसरा हफ्ता बीतते-बीतते यह आंकड़ा 1.5 लाख के स्तर को पार कर गया है। कोरोना पॉजिटिव मामलों की इस बाढ़ से लगभग हर शहर की स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गई है। गांवों में क्या हो रहा है, किसी को कुछ पता नहीं। लेकिन महानगरों से लेकर छोटे-छोटे शहरों तक हर जगह डराने वाला माहौल है।
एक झल्लाए डॉक्टर ने कहा, ‘मीडिया अस्पतालों में फर्श पर लेटे रोगियों को दिखा रहा है। लेकिन आखिर हम कर ही क्या सकते हैं? हम भला बेड लाएं कहां से? हमारे पास न तो बेड हैं, न ऑक्सीजन, न वेंटिलेटर खाली हैं। मुझ पर यकीन करें, हम बुरी तरह थक चुके हैं। आखिर ऐसा कब तक चलेगा?’
Published: undefined
एक अन्य डॉक्टर से बातचीत में उन आशंकाओं की पुष्टि हो जाती है जिसके बारे में कुछ लोग बहुत पहले से कहते आ रहे थे। वह यह कि जांच ही कम लोगों की हो रही है। दुनिया भर में जांच किट की कमी है और इसलिए निर्देश दे दिया गया है कि किट का इस्तेमाल सोच-समझकर करें, जहां तक डॉक्टर किट का इस्तेमाल टाल सकें, टालें।
यह सब बताने वाले डॉक्टर जहां तैनात हैं, वहां कई शव लाए गए। उन सबके रिश्दारों ने जानकारी दी कि उन लोगों को मरने से पहले सांस की तकलीफ थी। फिर भी इनमें से किसी के भी संबंधियों की जांच नहीं की गई, जबकि उनके संक्रमित होने की काफी आशंका थी। उस डॉक्टर ने नाम जाहिर न करने के अनुरोध के साथ यह अनुमान जताया कि ऐसे ही संक्रमित लोग वायरस फैला रहे होंगे।
Published: undefined
एक अन्य डॉक्टर ने अपनी जान-पहचान के लोगों के फोन उठाना बंद कर दिया है। वह कहते हैं, ‘मैं अपनी पहचान के लोगों को कैसे कह सकता हूं कि मैं उनकी कोई मदद करने, उनके बीमार रिश्दारों के लिए ऑक्सीजन के साथ बेड की व्यवस्था करने की स्थिति में नहीं हूं।’
कोविड वैक्सीन के दो डोज लेने के बाद भी बड़ी संख्या में डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मी संक्रमित हो चुके हैं। फिर भी उनसे अपेक्षा की जा रही है कि वे चौबीस घंटे काम करते रहें। एक मेडिकल स्टूडेंट ने एक नेता की नकल उतारते हुए कहा, ‘अस्पताल अब 24 घंटे काम कर रहे हैं।’
Published: undefined
स्वास्थ्यकर्मियों में नेताओं के प्रति खासी नाराजगी है, क्योंकि उन्हें नीचा दिखाया जा रहा है। एक नर्स ने कहा, ‘गलती तो नेताओं की है जिन्होंने लोगों को बड़ी संख्या में इकट्ठा होने दिया। उन्होंने लोगों को महामारी के खतरे के बारे में सही तरीके से नहीं बताया और खुद भी कोविड संबंधी प्रोटोकॉल का पालन नहीं कर रहे हैं। उनके गलत व्यवहार का खामियाजा हमें भुगतना पड़ रहा है।’
कोरोना महामारी ने अमीरों के पलायन की गति को बढ़ा दिया है। मॉर्गन स्टेनली की 2018 की रिपोर्ट में कहा गया था कि 2014 के बाद से 23,000 भारतीय करोड़पति पलायन कर चुके हैं, जबकि हाल ही में जारी ग्लोबल वेल्थ माइग्रेशन रिव्यू रिपोर्ट में कहा गया है कि सिर्फ वर्ष 2020 में 5000 भारतीय करोड़पति देश छोड़कर चले गए। एक ओर तो ये अमीर और ताकतवर लोग विदेश में जाकर अच्छी शिक्षा, बेहतर स्वास्थ्य सेवा और कारगर कानून-व्यवस्था का आनंद उठा रहे हैं, वहीं बाकी भारतीय यहां के चरमराते स्वास्थ्य ढांचे के भरोसे रहने के लिए अभिशप्त हैं।
Published: undefined
भारत में वर्तमान में 1.5 लाख से ज्यादा मामले रोजाना आ रहे हैं, जबकि यहां टेस्ट कराने की दर दुनिया में सबसे कम है। ऐसे में स्वास्थ्यकर्मियों को सही ही लगता है कि भारतीय शहर इस संकट से निपटने के लिए तैयार नहीं हैं। वे आगाह करते हैं, “अगर जल्द ही बढ़ते मामलों की तेजी पर ब्रेक नहीं लगा तो जो अस्पताल किसी तरह काम कर रहे हैं, वे भी बैठ जाएंगे।”
Published: undefined
Google न्यूज़, नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें
प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia
Published: undefined