चुनाव आयोग ने कहा है कि 243 सदस्यीय बिहार विधानसभा सीटों के लिए अंतिम परिणाम मंगलवार देर रात आने की उम्मीद है। आयोग ने कहा कि महत्वपूर्ण चुनाव क्षेत्रों को अभी तक कवर नहीं किया गया है। मंगलवार को पांच घंटे से अधिक समय तक कुल 4.10 करोड़ वोटों में से केवल एक करोड़ मतों की गिनती हो पाई है।
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उप चुनाव आयुक्त चंद्र भूषण ने कहा, "पहले, गिनती के 25-26 राउंड हुआ करते थे, लेकिन इस बार यह संख्या 38 स्थानों पर लगभग 35 राउंड तक चली गई है। कुछ विधानसभा क्षेत्रों में राउंड अलग-अलग होते हैं। मतगणना देर रात तक जारी रहेगी, क्योंकि मतदान 2015 में 65,000 मतदान केंद्रों की तुलना में इस बार 1.06 लाख मतदान केंद्र हो गए हैं। इसके साथ ही इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) में भी वृद्धि हुई है।"
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भूषण ने कहा कि कोविड-19 की जरूरत के मद्देनजर, इस साल मतदान केंद्रों की संख्या में 63 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है और मतगणना 55 स्थानों पर हो रही है। उन्होंने कहा, "कोरोनावायरस के कारण, प्रत्येक पोलिंग बूथ पर मतदान अधिकारियों को 1,000-1500 की संख्या तक सीमित किया गया था।"
भूषण ने कहा कि पूरे बिहार में अब तक की मतगणना प्रक्रिया गड़बड़ियों से मुक्त रही है। आयोग ने यह घोषणा मंगलवार को दोपहर में उप चुनाव आयुक्तों सुदीप जैन, चंद्र भूषण कुमार और आशीष कुंद्रा द्वारा संबोधित एक संवाददाता सम्मेलन में की।
बिहार विधानसभा में बहुमत हासिल करने के लिए 122 सीटें जीतना जरूरी है। अभी तक के रुझानों में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) बहुमत के जादुई आंकड़े को पार करती दिखाई दे रही है और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेतृत्व वाला महागठबंधन रुझानों में राजग से पिछड़ता दिखाई दे रहा है।
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हालांकि अंतिम परिणामों के लिए अभी भी समय है, मगर एक बात स्पष्ट है कि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी), जो बिहार में अब तक एनडीए में नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली जनता दल-युनाइटेड (जेडीयू) की कनिष्ठ साझेदार (गठबंधन में छोटी सहयोगी पार्टी) बनी हुई थी, वह राज्य में उससे ज्यादा सीट जीत सकती है।
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एक और दिलचस्प आंकड़ा सामने आ रहा है। महागठबंधन के साथी वामपंथी दलों ने मौजूदा रुझान के साथ अपने रिकॉर्ड को बेहतर बनाया है, जिसमें भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) (लिबरेशन) यानी भाकपा-माले 13 सीटें जीतने के करीब है, जबकि भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी-मार्क्सवादी (माकपा) को तीन-तीन सीटें मिल सकती हैं।
चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) को पिछली बार की दो सीटों की तुलना में इस बार महज एक सीट पर बढ़त मिली है। अगर आगे आने वाले रुझानों में राजग पिछड़ जाता है और बहुमत के जादुई आंकड़े से पीछे रह जाता है तो फिर तो एलजेपी और अन्य छोटे दल किंगमेकर बन सकते हैं। एग्जिट पोल के अधिकांश नतीजों ने हालांकि राजद-कांग्रेस-वाम गठबंधन को बहुमत मिलने की भविष्यवाणी की थी।
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