आज एक अप्रैल से नया वित्त वर्ष शुरू हो गया है। देश में जारी कोरोना वायरस संकट के बीच चालू वित्त वर्ष एक दिन पहले 31 मार्च को समाप्त हो गया और आज से देश नए वित्त वर्ष में प्रवेश कर गया। हालांकि इससे पहले कोरोना संकट के कारण चालू वित्त वर्ष की मियाद बढ़ाने की खबरें आई थीं, जिसे सरकार ने खारिज कर दिया है। सरकार ने एक नोटिफिकेशन जारी कर कहा है कि एक अप्रैल 2020 से ही नया वित्त वर्ष शुरू होगा।
दरअसल इससे पहले ऐसी खबरें आई थीं कि चालू वित्त वर्ष की मियाद 30 जून तक बढ़ा दी गई है। वित्त वर्ष पर जनता के बीच पैदा हो रहे भ्रम को दूर करते हुए सरकार ने कहा कि सरकार के राजस्व विभाग ने संशोधित भारतीय स्टाम्प अधिनियम 1 अप्रैल के बजाय 1 जुलाई से लागू होने की अधिसूचना जारी की है, जिसका वित्त वर्ष से कोई संबंध नहीं है। इसी के बाद सारा भ्रम पैदा हुआ।
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दरअसल सरकार ने कर चोरी को रोकने और स्टाम्प शुल्क लगाने की प्रणाली को तर्कसंगत और सुचारू बनाने के लिए वित्त विधेयक 2019 के जरिये भारतीय स्टाम्प अधिनियम 1899 में कुछ संशोधन किया है, जिसमें कहा गया है कि महाराष्ट्र में लागू की जारी रही स्टाम्प शुल्क दरों को एक मानक के तौर पर लिया जाएगा। इसके अलावा इस संशोधन के जरिये शेयर बाजारों में होने वाली प्रतिभूति लेनदेन पर स्टाम्प शुल्क लगाने की पहले से बेहतर व्यवस्था की गई है।
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ऐसे में अब जब ये साफ हो गया है कि वर्तमान वित्त वर्ष की मियाद नहीं बढ़ेगी तो करदाताओं को अब कुछ बातों को जान लेना चाहिए। सबसे पहले तो ये कि वर्ष 2019-2020 (अप्रैल 2019 से मार्च 2020) के लिए इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने के लिए 30 जून 2020 तक का समय दिया गया है। हालांकि वित्त वर्ष 2019-20 के लिए 31 मार्च 2020 तक की आय ही कर योग्य मानी जाएगी। कर की गणना 31 मार्च तक की आय पर ही होगी।
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हालांकि करदाता वित्त वर्ष 2019-20 के लिए 30 जून तक किए गए निवेश पर टैक्स छूट का लाभ ले सकेंगे। इसके अलावा 30 जून तक ली गई नई एलआईसी, मेडिक्लेम, पीपीएफ, एनपीएस जैसी योजनाएं वित्त वर्ष 2019-20 की कर योग्य आय में डिडक्शन के योग्य होंगी। इसमें एलआईसी की पुरानी पॉलिसी के प्रीमियम, मेडिक्लेम, पीपीएफ, एनपीएस जैसी योजनाओं के लिए 30 जून तक किये गए पेमेंट भी शामिल हैं।
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