राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने एक संक्षिप्त बयान में घोषणा की कि वे जम्मू और कश्मीर के संविधान से मिली शक्तियों का उपयोग करते हुए विधानसभा को भंग कर रहे हैं, जिसका कार्यकाल अभी दो साल बाकी था।
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विधानसभा को भंग करने की घोषणा से तुरंत पहले पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी), नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस ने साथ मिलकर सरकार बनाने का दावा किया था। वहीं, भाजपा भी पीडीपी के विद्रोही विधायकों और सज्जाद लोन के साथ मिलकर सरकार बनाने की कोशिश में जुटी थी।
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पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती ने देर शाम राज्यपाल को पत्र लिखकर कहा था कि कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस ने उनकी पार्टी को सरकार बनाने के लिए समर्थन देने का फैसला किया है। लोन ने इसका विरोध करते हुए राज्यपाल को पत्र लिख कर भाजपा की मदद से सरकार बनाने का दावा पेश किया। उन्होंने 18 विधायकों के साथ भाजपा के 25 विधायकों की मदद से सरकार बनाने का दावा पेश किया और कहा कि यह बहुमत से अधिक है।
वहीं, मुफ्ती ने अपने पत्र में लिखा कि उनकी पार्टी के 29 विधायकों के अलावा नेशनल कांफ्रेंस के 15 और कांग्रेस के 12 विधायकों को मिलाकर उनकी संख्या 56 हो जाती है। महबूबा ने राज्यपाल (जो शादी समारोह में शामिल होने के लिए चंडीगढ़ में थे) को भेजे पत्र में लिखा, "चूंकि मैं श्रीनगर में हूं। इसलिए तुरंत आपसे मिलना संभव नहीं होगा। इसलिए हम सरकार बनाने के दावे के लिए आपकी सुविधा के मुताबिक आपसे जल्द मुलाकात का समय मांगते हैं।"
विधानसभा भंग होने से पहले पूर्व वित्त और शिक्षा मंत्री अल्ताफ बुखारी के पीडीपी-नीत गठबंधन सरकार के मुख्यमंत्री बनने की चर्चा चल रही थी।
87-सदस्यीय जम्मू और कश्मीर विधानसभा में भाजपा के 25 (सभी जम्मू से) विधायक हैं और कश्मीर घाटी की पीपल्स कांफ्रेस के दो विधायकों के समर्थन का पार्टी दावा करती है।
मुफ्ती ने कहा कि विचित्र है कि फैक्स से भेजे गए पत्र को राजभवन ने स्वीकार नहीं किया। उन्होंने कहा कि वे राज्यपाल से फोन पर संपर्क करने की कोशिश कर रही हैं।
जम्मू-कश्मीर विधानसभा भंग करने के राज्पाल के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कहा है कि महागठबंधन की आहट से ही बीजेपी खौफजदा हो गई है, इसीलिए ऐसा फैसला किया है। उन्होंने एक साथ कई ट्वीट कर राज्यपाल के फैसले पर हैरानी जताई
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वहीं कांग्रेस नेता सैफुद्दीन सोज ने कहा कि राज्यपाल के फैसले के खिलाफ महबूबा मुफ्ती को अदालत जाना चाहिए
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वहीं नेशनल कांफ्रेंस नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा कि बीते 5 माह से नेशनल कांफ्रेंस विधानसभा भंग करने की मांग कर रही है और उस पर फैसला नहीं हुआ। लेकिन जैसे ही महबूबा मुफ्ती ने सरकार बनाने का दावा पेश किया, पांच मिनट में विधानसभा भंग कर दी गई।
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जम्मू-कश्मीर विधानसभा भंग करने के राज्पाल के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि गठबंधन पर अभी कोई अंतिम फैसला नहीं लिया गया था और बीजेपी ने घबराहट में विधानसभा भंग करने का फैसला ले लिया। उन्होंने कहा कि अभी सिर्फ गठबंधन बनाने के प्रस्ताव दिया गया था, इस पर कोई अंतिम फैसला नहीं हुआ था।
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