‘सोशल इंजीनियर’ में माहिर समझे जाने वाले और इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर चुके बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जेडीयू की जोकीहाट उपचुनाव में करारी हार के बाद बिहार की सियासी फिजा में यह सवाल तैरने लगा है कि क्या मुस्लिमों का नीतीश से मोहभंग हो गया है?
राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए ) की पहली पारी के दौरान नीतीश की पार्टी के नेता चुनाव में जहां मुस्लिम मतदाताओं को बीजेपी की ओर शिफ्ट कराने का दावा किया करते थे, वहीं आज जेडीयू 70 फीसदी मुस्लिम मतदाताओं वाली अपनी परंपरागत जोकीहाट सीट को नहीं बचा पाई।
इस सीट पर साल 2005 से ही जेडीयू का कब्जा था। हाल में अररिया संसदीय क्षेत्र और जोकीहाट विधानसभा क्षेत्र में हुए उपचुनाव के परिणामों से साफ है कि जेडीयू से मुस्लिम मतदाताओं का मोह टूट रहा है। साल 2005 में लालू विरोधी लहर पर सवार होकर नीतीश कुमार ने जब बिहार की सत्ता संभाली थी, तब उन्होंने मुस्लिम वोट बैंक को साधना शुरू किया था, जिसमें वह काफी हद तक सफल भी हुए थे। इसके बाद साल 2009 में हुए लोकसभा चुनाव परिणाम में मुस्लिम बहुल सीमांचल की चार सीटों- अररिया, पूर्णिया, कटिहार और किशनगंज में से तीन पर बीजेपी के प्रत्याशी जीते थे।
साल 2014 में राज्य की सियासत में बड़ा बदलाव आया। बीजेपी से नीतीश कुमार अलग होकर अकेले चुनाव लड़े, जिसमें उन्हें जबरदस्त हार मिली। पूरे राज्य में आरजेडी भी नरेंद्र मोदी की आंधी में बह गई, लेकिन सीमांचल में मोदी लहर का असर नहीं दिखा। सीमांचल की चार सीटों में से एक भी सीट बीजेपी के खाते में नहीं गई।
बिहार के वरिष्ठ पत्रकार सुरेंद्र किशोर कहते हैं कि मुस्लिम मतदाताओं पर लालू की पकड़ कल भी थी और आज भी है। मुस्लिम समुदाय के पिछड़े वर्ग के मतदाता नीतीश कुमार और उनके विकास के प्रशंसक जरूर रहे हैं। उन्होंने कहा, “नरेंद्र मोदी के राष्ट्रीय राजनीति में आने के बाद मुस्लिम मतदाताओं का ध्रुवीकरण हुआ है, ऐसे में नीतीश को बीजेपी के साथ चले जाने पर कुछ नुकसान तो उठाना ही पड़ा है।”
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पटना के वरिष्ठ पत्रकार संतोष सिंह कहते हैं कि लालू यादव का साथ छोड़कर बीजेपी का दामन थामने वाले नीतीश कुमार से मुस्लिम मतदाता खासे नाराज हैं। इसलिए जोकीहाट उपचुनाव में जेडीयू को हार का मुंह देखना पड़ा। उन्होंने आगे कहा सीमांचल में नीतीश कुमार का जनाधार खिसका है और उनकी पार्टी को एक बार फिर से रणनीति बनाने की जरूरत है।
अररिया, राजद के सांसद रहे मरहूम तस्लीमुद्दीन का गढ़ माना जाता है। जोकीहाट विधानसभा सीट जेडीयू विधायक सरफराज आलम के इस्तीफे से खाली हुई थी। सरफराज आलम अपने पिता तस्लीमुद्दीन के निधन के बाद जेडीयू से इस्तीफा देकर आरजेडी में शामिल हुए और इसी पार्टी से अररिया से सांसद चुने गए, जो उनके पिता के निधन से खाली हुई थी।
जोकीहाट उपचुनाव में लालू यादव की पार्टी आरजेडी के शहनवाज आलम ने जेडीयू उम्मीदवार मुर्शीद आलम को 41,224 वोटों से हराया। शहनवाज पूर्व सांसद तस्लीमुद्दीन के ही पुत्र हैं।
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