कोरोना काल में शिवराज सरकार पर लगातार लापरवाही के आरोप लगे रहे हैं। ताजा मामला मध्य प्रदेश के इंदौर से है। जहां स्वास्थ्य विभाग की एक बड़ी लापरवाही सामने आई है। यहां स्वास्थ्य विभाग का कॉल सेंटर कोरोना से जान गंवा चुके लोगों को दवा और भर्ती कराने के लिए फोन कॉल कर रहा है।
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दरअसल इंदौर हाईकोर्ट के एक वकील के माता-पिता और बहन का निधन करीब दो माह पहले कोविड से हो गया था। इसकी जानकारी ना स्वास्थ्य विभाग के पास है ना प्रशासन के पास है। उनकी स्वास्थ्य की जानकारी स्वास्थ्य विभाग अब ले रहा है।
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हाईकोर्ट एडवोकेट मनीष यादव के मुताबिक, उनके माता-पिता का दो महीने पहले कोविड से निधन हो चुका है। उसके बाद भी कोविड कंट्रोल रुम से फोन आ रहे हैं कि आपके माता-पिता की कोविड रिपोर्ट पाजिटिव आई है और हम उन्हें लेने आ रहे हैं। कंट्रोल रुम और निगम के जोन से दो दिन में 10 से 12 फोन आ चुके हैं। सभी को यही जवाब देना पड़ रहा है कि मेरे परिजनों का दो महीने पहले निधन हो गया है। इससे स्पष्ट है स्वास्थ्य विभाग के सिस्टम के कही न कही खामी है।
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इस मामले में स्वास्थ्य विभाग की डिस्ट्रिक्ट डेटा मैनेजर अपूर्वा तिवारी ने बताया कि उन्हें इस बात का पता चला तो उन्होंने प्रारंभिक तहकीकात करवाई, इसमें पता चला कि निजी लैब सोडानी डायग्नोस्टिक से 6 जून को प्रमिला और रमेश यादव के कोविड सैम्पल जांच में लगाए गए थे। फिर बताया गया कि वे सात जून को वे पॉजिटिव पाए गए, फिलहाल इस मामले में स्वास्थ्य विभाग ने सोडानी को नोटिस देकर जानकारी मांगी है।
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