केंद्रीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बांग्लादेश के हालात पर मंगलवार को लोकसभा में बयान देते हुए कहा है कि बांग्लादेश में कार्यरत राजनयिक मिशनों के माध्यम से सरकार बांग्लादेश में रह रहे भारतीय समुदाय के साथ निकट और निरंतर संपर्क में है।
लोकसभा में बांग्लादेश के हालात की जानकारी देते हुए विदेश मंत्री ने बताया कि जनवरी 2024 में हुए चुनाव के बाद से, बांग्लादेश की राजनीति में भारी तनाव, गहन विभाजन और बढ़ता ध्रुवीकरण देखा गया। इस अंतर्निहित परिस्थिति ने इस वर्ष जून में शुरू हुए छात्र आंदोलन को और उग्र बना दिया। हिंसा में वृद्धि होती रही, जिसमें सार्वजनिक भवनों और अवसंरचना पर हमले की घटनाएं तथा यातायात एवं रेल अवरोध शामिल थे। यह हिंसा जुलाई माह तक जारी रही। इस अवधि के दौरान, हमने बार-बार संयम बरतने की सलाह दी और कहा कि बातचीत के जरिए स्थिति को शांत किया जाए। इसी प्रकार की बात उन विभिन्न राजनीतिक शक्तियों से की गई, जिनके साथ हम संपर्क में थे।
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उन्होंने सदन में कहा कि 21 जुलाई को सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के बावजूद, सार्वजनिक आंदोलन में कोई कमी नहीं आई। तत्पश्चात लिए गए विभिन्न निर्णयों और कार्रवाइयों ने स्थिति को और प्रतिकूल बना दिया। इस समय आंदोलन एक सूत्री एजेंडे के इर्द-गिर्द केंद्रित था, वह यह कि प्रधानमंत्री शेख हसीना को पद छोड़ देना चाहिए। 4 अगस्त को, घटनाक्रम ने अत्यंत गंभीर मोड़ लिया। पुलिस थानों और सरकारी प्रतिष्ठानों सहित पुलिस पर हमले तेज हो गए, और इस तरह हिंसा और अधिक बढ़ गई। पूरे देश में सरकार से जुड़े लोगों की संपत्तियों को आग लगा दी गई। सबसे ज्यादा चिंता की बात यह थी कि अल्पसंख्यकों पर भी कई स्थानों पर हमले हुए। इसका पूरा आकलन अभी भी पूरी तरह से नहीं किया जा सका है।
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विदेश मंत्री ने कहा कि 5 अगस्त को, कर्फ्यू के बावजूद प्रदर्शनकारी ढाका में इकट्ठे हुए। हम यह समझते हैं कि सुरक्षा व्यवस्था से जुड़े प्रमुख व्यक्तियों के साथ बैठक के बाद, प्रधानमंत्री शेख हसीना ने स्पष्ट रूप से इस्तीफा देने का फैसला किया। बहुत कम समय में उन्होंने भारत आने के लिए मंजूरी मांगी। हमें उसी समय बांग्लादेश के प्राधिकारियों से हवाई यात्रा की मंजूरी के लिए अनुरोध प्राप्त हुआ। वह कल शाम दिल्ली पहुंचीं। बांग्लादेश की स्थिति में अभी भी उतार-चढ़ाव हो रहे हैं। सेना प्रमुख जनरल वाकर-उज-जमान ने 5 अगस्त को राष्ट्र को संबोधित किया। उन्होंने राष्ट्र की जिम्मेदारी संभालने और अंतरिम सरकार के गठन के बारे में बात की।
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विदेश मंत्री एस जयशंकर ने आगे बताया कि हम अपने राजनयिक मिशनों के माध्यम से बांग्लादेश में भारतीय समुदाय के साथ निकट और निरंतर संपर्क में हैं। वहां अनुमानित रूप से 19,000 भारतीय नागरिक हैं, जिनमें से लगभग 9,000 छात्र हैं। उच्चायोग की सलाह पर जुलाई माह में अधिकांश छात्र पहले ही भारत लौट चुके हैं। ढाका स्थित उच्चायोग के अलावा, हमारी राजनयिक उपस्थिति के संदर्भ में, चटगांव, राजशाही, खुलना और सिलहट में हमारे सहायक उच्चायोग मौजूद हैं। हमें ये उम्मीद है कि मेजबान सरकार इन प्रतिष्ठानों के लिए आवश्यक सुरक्षा प्रदान करेगी। हम स्थिति में स्थिरता आने के बाद उनके सामान्य कामकाज की आशा करते हैं।
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उन्होंने आगे कहा कि हम अल्पसंख्यकों की स्थिति के संबंध में भी परिस्थिति पर नजर रख रहे हैं। ऐसी जानकारी है कि विभिन्न समूहों एवं संगठनों द्वारा उनकी सुरक्षा तथा सलामती सुनिश्चित करने के लिए पहल की गई हैं। हम इसका स्वागत करते हैं, परंतु हम स्वाभाविक रूप से तब तक इस बारे में अत्यंत चिंतित रहेंगे, जब तक कि कानून एवं व्यवस्था साफ तौर पर बहाल नहीं हो जाती। इस जटिल स्थिति को देखते हुए हमारे सीमा सुरक्षा बलों को भी विशेष रूप से सतर्क रहने के निर्देश दिए गए हैं। पिछले 24 घंटों में, हम ढाका में अधिकारियों के साथ भी लगातार संपर्क में हैं। यह अभी तक की स्थिति है। मैं एक ऐसे महत्वपूर्ण पड़ोसी देश से जुड़े संवेदनशील मुद्दों के संबंध में सदन की सहमति और समर्थन की अपेक्षा करता हूं, जिसके लिए हमेशा से ही राष्ट्रीय तौर पर हमारा दृढ़ सकारात्मक रुख रहा है।
लोकसभा में बयान देने से पहले विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बांग्लादेश के हालात को लेकर राज्यसभा में भी बयान दिया।
आईएएनएस के इनपुट के साथ
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