देश में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की तादाद अब तक 1,071 हो गई है। बीते 24 घंटे में ही इस बीमारी से संक्रमित 92 नए मामले सामने आए हैं और 4 लोगों की मौत हुई है। यह अधिकारिक आंकड़े हैं जिन्हें स्वास्थ्य मंत्रालय ने सोमवार को जारी किया। स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ही प्रेस कांफ्रेंस कर सारी जानकारियां दे रहे हैं।
ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर देश के स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन और स्वास्थ्य सचिव प्रीति सूदान सामने क्यों नहीं आ रही हैं? सोमवार को भी सारी जानकारियां संयुक्त सचिव ने ही मीडिया के सामने रखीं। प्रेस कांफ्रेंस के दौरान संयुक्त सचिव हांफते नजर आए क्योंकि पत्रकारों द्वारा पूछे गए कई सवालों के जवाब उनके पास नहीं थे।
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लव अग्रवाल ने सोमवार की प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि बीते 12 दिनों के दौरान देश में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या 100 से बढ़कर 1000 पार कर गई है। लेकिन उन्होंने साथ ही जोड़ा कि कई देशों को मुकाबले कोरोना का यह प्रसार काफी कम है। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग जैसे कदम उठाकर हमने प्रसार को रोकने में कामयाबी हासिल की है।
तो क्या यही वास्तविकता है? गौर करें तो जवाब होगा नहीं, क्योंकि भारत में टेस्टिंग की सुविधाएं ही बहुत कम हैं, और हम अभी तक उतने लोगों का टेस्ट नहीं कर पाए हैं जितना होना चाहिए। संभवत: इसीलिए इस वायरस से प्रभावित लोगों की संख्या कम नजर आती है। लेकिन सरकार इसे कामयाबी मानती है।
स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने आगे वह सब दोहरा दिया जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने ‘मन की बात’ में कह चुके थे। मसलन हम इस बीमारी को हराने में कामयाब होंगे, हमें पैनिक नहीं करना है आदि आदि।
लेकिन ध्यान दें तो पता चलेगा कि पैनिक तो सरकार ही पैदा कर रही है। लोगों की पिटाई की जा रही है, और तो और कोरोना पलायन पर निकले मजदूरों को आसरा देने, उन्हें भोजन, आदि की मदद मुहैया कराने के बजाए, केमिकल मिले पानी से नहलाया जा रहा है।
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इसी प्रेस कांफ्रेंस में गृह मंत्रालय के अधिकारी भी थे। उन्होंने बताया कि आदेश हैं कि जो भी लोग एक शहर से दूसरे शहर पहुंच रहे हैं उनके लिए स्टैंडर्ड हेल्थ प्रोटोकॉल अपनाया जाए और उन्हें 14 दिन के लिए आइसोलेशन में रखा जाए। लेकिन सिर्फ इन्हीं लोगों पर यह प्रोटोकॉल क्यों लागू हो रहा है। बाहर देशों से आए अमीर लोगों को तो एयरपोर्ट से सीधे आइसोलेशन या क्वेरंटाईन में नहीं रखा गया।
प्रेस कांफ्रेंस में जब पत्रकारों ने सवाल पूछा कि जितने भी मामले कोविड-19 से संक्रमित लोगों के सामने आए हैं, उनमें से कितने लोग गंभीर स्थिति में हैं। इसका जवाब लव अग्रवाल ने दिया। उन्होंने कहा कि सभी पॉजिटिव केसों को प्रोटोकॉल के मुताबिक अस्पताल में भर्ती कराया गया है। इनमें से कुछ सीरियस हैं, लेकिन इनकी संख्या बहुत कम है। ध्यान दें कि सवाल था कि कितने लोग सीरियस हैं, उसका सीधा जवाब लव अग्रवाल के पास नहीं था।
एक और सवाल पूछा गया कि क्या देश में इस वायरस का कम्यूनिटी ट्रांसमिशन हुआ है? इस सवाल का जवाब काफी रोचक था। लव अग्रवाल ने कहा, “कम्यूनिटी शब्द का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। हम इसे लोकल ट्रांसमिशन कह सकते हैं। अभी तक कहीं भी कम्यूनिटी ट्रांसमिशन का मामला सामने नहीं आ या है”
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अगला सवाल गृह मंत्रालय से था कि एक एडवाइजरी जारी हुई है कि मकान मालिक किसी भी किराएदार को नहीं निकालेंगे, अगर वह किराय नहीं चुका सकता है। तो क्या यह सिर्फ एडवाइडरी है या कोई कानूनी निर्देश है? इसके जवाब में गृह मंत्रालय के अधिकारी ने सीधा जवाब न देते हुए दोहरा दिया कि किस तारीख को ऐसी एडवाइजरी जारी की गई थी।
इन सवाल जवाब से एक बात तो साफ हो गई कि सरकार के पास न तो सारे आंकड़े हैं और न ही किसी सवाल का सही और सटीक जवाब, क्योंकि जब पूछा गया कि कोरोना वायरस के क्या कुछ हॉट स्पॉट की पहचान हुई है? इसके जवाब में स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना था कि जहां भी ज्यादा केस सामने आएंगे उसे हॉटस्पॉट माना जाएगा। प्रोटोकॉल का इस्तेमाल किया जा रहा है और इसे रोकने की रणनीति भी है। लेकिन माननीय सवाल तो यह था कि आखिर ये हॉटस्पॉट देश में हैं कहां?
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लॉकडाउन के दौरान घरों में कैद लोग इस वायरस को लेकर जितना चिंतित हैं, उससे कहीं ज्यादा कन्फ्यूज भी हैं। लोग जानना चाहते हैं कि असली आंकड़े क्या हैं, जितने लोग अभी तक पॉजिटिव पाए गए हैं, उनमें से कितने लोग वेंटिलेटर पर हैं। लेकिन इसका जवाब भी मंत्रालय के पास नहीं है। लव अग्रवाल ने कहा कि देखिए, इस बीमारी में संक्रमण की दर बहुत अधिक होती है। लेकिन वेंटिलेटर वाला जवाब नहीं दिया गया।
लोगों के मन में इस समय जो सबसे बड़ा सवाल है कि क्या 21 दिन के बाद लॉकडाउन खत्म हो जाएगा? या फिर इसे आगे बढ़ाया जाएगा। इस पर गृह मंत्रालय का कहना है कि कैबिनेट सचिव ने स्पष्ट किया है कि इस बारे में कोई फैसला नहीं हुआ है, और इससे ज्यादा कोई कमेंट नहीं किया जा सकता।
लेकिन स्थिति पूरी तरह असमंजस वाली ही है और डरावनी भी, क्योंकि सरकरा ने यह निर्देश तो जारी कर दिए कि एक शहर से दूसरे पहुंचने वालों लोगों को 14 दिन आइसोलेशन या क्वारेंटाइन में रखा जाए, लेकिन अब तक कितने लोगों को रखा गया है, इसका कोई आंकड़ा सरकार के पास नहीं है।
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