वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 2018-19 का बजट संसद में पेश करते हुए कहा था कि प्रधानमंत्री इम्प्लॉयमेंट जनरेशन प्रोग्राम (पीएमईजीपी) के तहत 7.5 लाख युवाओं को रोजगार दिया जाएगा। लेकिन आंकड़े बताते है कि इस योजना के तहत युवाओं को रोजगार देने में लगातार कमी आ रही है।
पीएमईजीपी की वेबसाइट के मुताबिक, 2017-18 में 404751 युवाओं ने आवेदन दिया था जिनमें 253417 युवाओं के आवेदन को बैंक भेजा गया और आखिरकार सिर्फ 49952 युवाओं को ही बैंकों से कर्ज मिल पाया। इस हिसाब से देखा जाए तो लगभग 88 फीसदी युवाओं के आवेदन पूरा प्रक्रिया के दौरान अस्वीकृत कर दिए गए।
2016-17 में आवेदन करने वाले युवाओं की संख्या 405055 थी, जबकि उनमें 37913 युवाओं को ही बैंकों से कर्ज मिला।
इतनी बड़ी तादाद में आवेदन के अस्वीकृत होने के पीछे सबसे बड़ी वजह यह बताई जा रही है कि आवेदन के साथ जमा की गई परियोजना के सफल होने की संभावना कम दिखाई देती है। इसके अलावा दस्तावेजों की कमी, आवेदकों की पृष्ठभूमि, आवेदकों के भीतर व्यापार की समझ का अभाव और आवेदकों की व्यापार में दिलचस्पी जैसी वजहें भी इसके लिए जिम्मेदार हैं।
हालांकि वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इस बार के बजट में पीएमईजीपी के लिए 1800 करोड़ रुपए का प्रावधान रखा है, जबकि 2017 के बजट में यह 1024 करोड़ रुपए था।
साल 2008 में प्रधानमंत्री रोजगार योजना और ग्रामीण रोजगार सृजन योजना का आपस में विलय कर यह योजना शुरू की गई थी।
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