उत्तराखंड के रुड़की के सिविल लाइन कोतवाली क्षेत्र के सलोनीपुरम में चर्च पर हुए हमले का मामला अब तूल पकड़ता जा रहा है। पीड़ितों की मानें और पुलिस सूत्रों पर भरोसा करें तो इस हमले की बाकायदा योजना बनाई गई थी और इसके लिए कई दिन से ईसाई समाज के लोगों पर तानाकशी की जा रही थी। चर्च से जुड़े लोगो ने इस बारे में पुलिस में शिकायत भी की थी, मगर कोई कार्रवाई नही हुई।
अब उत्तराखंड के डीजीपी अशोक कुमार के मामले में दखल देने के बाद घटना के दो दिन बाद आज रुड़की पुलिस में हलचल दिखाई दी है और वो घायलों के बयान दर्ज करने अस्पताल पहुंची। सूत्रों की मानें तो इस हमले के पीछे चर्च की करोड़ों रूपये कीमत की जमीन भी है, जिसे कुछ हिंदूवादी नेता कब्जाने की नीयत रखते हैं और उन्होंने धर्म के नाम पर स्थानीय लोगों को उकसाकर चर्च पर हमला करवाया ।
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चश्मदीदों की मानें तो सोमवार को सुबह 10 बजे किया गया यह बेहद ही खौफनाक हमला था। एक पीड़ित प्रिंस ने नवजीवन को बताया कि वो उस समय को याद करके अब भी सिहर रहे हैं। सैकड़ो हिन्दू संगठनों के लोगों ने लाठी-डंडों से प्रार्थना कर रहे हमारे समाज पर हमला कर दिया। वो वंदेमातरम और भारत माता की जय और जय श्री राम के नारे लगा रहे थे। उन्होंने हमें बुरा-भला कहा और हम पर धर्मांतरण करने का आरोप लगाकर मारपीट की, हमारा सामान तोड़ दिया और मोबाइल छीन लिए। हमें यह बताया जाए कि क्या यहां सिर्फ हिन्दू समाज के लोग ही रहेंगे।
सलोनीपुरम निवासी प्रियो साना पोर्टर ने इस घटना के खिलाफ पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई है। उन्होंने बताया कि वो हमलावरों को स्थानीय होने की वजह से जानती हैं। उन्होंने कहा कि दुख है कि इनमें से कई से उनका पारिवारिक परिचय है और एक ने तो मुझे पढ़ाया भी है, मगर नफरत ने उन्हें अंधा कर दिया है। इनका नेतृत्व भाजयुमो का प्रदेश मंत्री सागर गोयल, बीजेपी ओबीसी मोर्चा प्रदेश मंत्री धीर सिंह, विहिप मंत्री शिव प्रसाद त्यागी कर रहे थे। इनके साथ महिला नेत्री सीमा गोयल, बबीता चौहान, सुनील, राखी प्रधान भी थीं। हमलवारों की तादाद 200 से ज्यादा थी। वो लगातार हमें जान से मारने की बात कह रहे थे और उन्होंने रजत, सुमित प्रिंस और विलसन को बुरी तरह पीटा। रजत अभी भी गंभीर रूप से घायल है और मौत से लड़ रहा है। हम पुलिस को बुला रहे थे और वो मारपीट करते रहे मगर पुलिस बचाने नही पहुंची।
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उत्तराखंड कांग्रेस सेवादल के प्रदेश अध्यक्ष राजेश रस्तोगी ने नवजीवन को बताया कि दरअसल हिन्दू संगठनों का यह हमला सीधे तौर पर पूर्व नियोजित था। इससे पहले लक्सर में भी धर्मांतरण का आरोप लगाकर मारपीट की गई थी। उधमसिंह नगर में भी बवाल हुआ था। उत्तराखंड में चुनाव की आहट के साथ ही इस तरह के मुद्दों को हवा दी जा रही है। बीजेपी सरकार विकास के तमाम मोर्चों पर नाकामयाब हुई है और अब वो बहुसंख्यक आबादी को धार्मिक मुद्दों पर उलझाना चाहती है। भारत देश मे संविधान के अनुसार हर एक को अपनी धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार है। यह हमला अत्यंत निंदनीय है और हम पीड़ित समाज के साथ खड़े हैं।
कांग्रेस चर्च पीड़ितों के समर्थन में शांति मार्च निकालने की तैयारी कर रही है। राजेश रस्तोगी ने बताया इसका जवाब प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को देना चाहिए। जिस दिन चर्च पर यह हमला हुआ उसी दिन मुख्यमंत्री पास के कुंजपुर इलाके में थे। पुलिस उनकी आवभगत में लगी हुई थी, मगर वो अल्पसंख्यक ईसाई समाज की रक्षा नही कर सकी। राजेश रस्तोगी तमाशबीन लोगों से नाराजगी जताते हुए कहते हैं कि उन्हें हमलावरो को रोकना चाहिए था। पीड़ित स्थानीय हिंदूवादी नेताओं के बर्ताव को देखते हुए पुलिस से गुहार लगा चुके थे। मगर कोई कार्रवाई नहीं हुई। यह भावना सही नहीं है। इससे देश की छवि को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हानि होती है।
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इस मामले में सबसे हैरतअंगेज बात ये है कि अब तक चर्च पर हमले के आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं हुई है, जबकि पीड़ितों के विरुद्ध ही धर्मांतरण का मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। इस मामले में अब एक अन्य एफआईआर दर्ज हुई है। इसे कविता नाम की महिला ने दर्ज कराया है। यह एफआईआर चर्च प्रबधंन से जुड़े लोगों के खिलाफ दर्ज कराई गई है। कविता के अनुसार रविवार को चर्च से जुड़े लोगों ने उसे 2 लाख रुपये और नौकरी देने का लालच देकर धर्म परिवर्तन के लिए प्रेरित किया जिसे उसने स्वीकार नही किया था।
चर्च से जुड़े प्रिंस ने कहा कि उन्हें लगता है कि सब एक योजना के अनुसार किया गया है। वो तीन-चार दिन से हलचल महसूस कर रहे थे। उन्होंने कहा कि चर्च के आसपास कुछ लोग घूम रहे थे और उनके चेहरे के भाव ठीक नही थे। वो गलत टिप्पणी भी कर रहे थे। हमने इसके बारे में पुलिस को बताया भी था, मगर उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की। पुलिस ने अब तक भी कोई कार्रवाई नहीं की है। हमारे दर्जनों साथी घायल हैं, जिनमें महिलाएं भी हैं। रजत कुमार की हालत गंभीर है। हमले के समय आधे घंटे तक पुलिस नही आई। चर्च प्रबंधन के विरुद्ध दर्ज कराया गया यह मुक़दमा हमारी आवाज को चुप कराने के लिए हैं। चर्च पर हमले की कई दिन से तैयारी चल रही थी। मुक़दमा होने की स्थिति में धर्मांतरण की कहानी भी पहले ही गढ़ ली गई थी।
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एक स्थानीय दुकानदार ने नाम ने छापने के वादे पर हमें बताया कि राजनीति तो अपनी जगह है, मगर कुछ स्थानीय सत्ताधारी नेता इस चर्च की जमीन को कब्जाने की नीयत रखते हैं। चर्च के आसपास का इलाका व्यासायिक दृष्टिकोण से बहुत महत्वपूर्ण हैं। चर्च 35 साल पुराना है, बाकी धर्मातंरण की कहानी तो रची गई है। इस प्रकरण के बाद उत्तराखंड का खुफिया विभाग अलर्ट हो गया है। पुलिस सूत्रों के अनुसार सभी चर्चों से जुड़ी जानकारी जुटाई जा रही है। रुड़की की इस घटना के पूरे 24 घंटे बाद चर्च के पीड़ितों के विरुद्ध कविता नाम की महिला ने रिपोर्ट दर्ज करवाई गई है। उत्तराखंड के डीजीपी अशोक कुमार ने मामले में सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं जबकि स्थानीय पुलिस ने अभी तक किसी भी नेता की गिरफ्तारी नहीं की है।
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