हालात

'मोदी सरकार के 10 साल लोकतंत्र, पर्यावरण और उस पर निर्भर रहने वालों के लिए रहे विनाशकारी', जयराम रमेश ने किया ये वादा

कांग्रेस महासचिव एवं पूर्व केंद्रीय पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार के पिछले 10 साल न केवल भारत के लोगों और लोकतंत्र के लिए, बल्कि पर्यावरण और उस पर निर्भर रहने वालों के लिए विनाशकारी रहे हैं।

मोदी सरकार भारत के लोगों, लोकतंत्र, पर्यावरण और उस पर निर्भर रहने वालों के लिए विनाशकारी- जयराम रमेश
मोदी सरकार भारत के लोगों, लोकतंत्र, पर्यावरण और उस पर निर्भर रहने वालों के लिए विनाशकारी- जयराम रमेश 

कांग्रेस ने पर्यावरण से जुड़े मुद्दों पर नरेन्द्र मोदी सरकार की ''विफलताओं'' को शनिवार को सूचीबद्ध किया और दावा किया कि इसकी ''वैश्विक चर्चा स्थानीय स्तर पर उठाए जाने वाले कदमों के अनुरूप नहीं है''। इसने कहा कि जब विपक्षी गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) ‘‘जून में सत्ता संभालेगा’’ तो वर्तमान शासन के प्रतिगामी कदमों को वापस लिया जाएगा।

कांग्रेस महासचिव एवं पूर्व केंद्रीय पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार के पिछले 10 साल न केवल भारत के लोगों और लोकतंत्र के लिए, बल्कि पर्यावरण और उस पर निर्भर रहने वालों के लिए विनाशकारी रहे हैं।

उन्होंने आरोप लगाया, "प्रधानमंत्री ने भारत में पर्यावरण के लिए संरक्षण को व्यवस्थित रूप से नष्ट कर दिया है, जिन्होंने कहा था कि 'जलवायु नहीं बदल रही है, हम बदल रहे हैं' ।"

Published: undefined

रमेश ने दावा किया कि मुख्य रूप से अपनाया जाने वाला तरीका स्थानीय समुदायों से जंगलों पर उनके किसी भी अधिकार को छीनना और वन भूमि को मोदी सरकार की "सांठगांठ वाले कॉर्पोरेट मित्रों" को सौंपने को आसान बनाना है।

उन्होंने पर्यावरण संबंधी मुद्दों पर मोदी सरकार की 10 ‘‘विफलताओं’’ को सूचीबद्ध किया और कहा कि इनमें "विनाशकारी वन (संरक्षण) संशोधन अधिनियम, आदिवासी विरोधी वन संरक्षण नियम, जैविक विविधता (संशोधन) को कमजोर करना, पर्यावरण संरक्षण अधिनियम में गुप्त संशोधन, वन मंजूरी के उल्लंघन के बाद परियोजनाओं को वैध बनाना, पर्यावरणीय प्रभाव आकलन नियम को कमजोर करना, स्वतंत्र पर्यावरण संस्थानों को समाप्त करना, बढ़ता वायु प्रदूषण, कमजोर वन्यजीव संरक्षण अधिनियम और कोयला खदानें कॉर्पोरेट लॉबिंग पर देना" शामिल हैं।

Published: undefined

रमेश ने कहा कि 1980 का वन संरक्षण अधिनियम वनों को अतिक्रमण और वनों की कटाई से बचाने के लिए एक महत्वपूर्ण कानून है। उन्होंने आरोप लगाया कि हालांकि, मोदी सरकार के 2023 के संशोधन ने इसे अंदर से खोखला कर दिया है।

उन्होंने आरोप लगाया, "यह संशोधन 1996 के टीएन गोदावर्मन उच्चतम न्यायालय के आदेश का उल्लंघन करते हुए भारत के 25 प्रतिशत वन क्षेत्र, या लगभग 2 लाख वर्ग किमी जंगल की सुरक्षा को हटा देता है। इरादा हमारे जंगलों तक पहुंच प्रधानमंत्री के कॉर्पोरेट मित्रों को सौंपना है।’’

रमेश ने यह भी दावा किया कि वन संरक्षण संशोधन अधिनियम के माध्यम से हमले के अलावा, मोदी सरकार ने 2022 वन संरक्षण नियम के साथ आदिवासियों और वन-निवास समुदायों के पारंपरिक वन अधिकारों पर हमला किया है। उन्होंने दावा किया कि आदिवासी अब अपनी वन भूमि और संसाधनों पर कॉर्पोरेट कब्जे के चलते असुरक्षित हैं।

Published: undefined

रमेश ने कहा कि कांग्रेस के 'पांच न्याय पच्चीस गारंटी' में वन अधिकार अधिनियम को अक्षरश: लागू करने का वादा शामिल है। उन्होंने कहा कि सभी लंबित दावों को एक साल में निपटाया जाएगा और खारिज किए गए दावों की छह महीने के भीतर समीक्षा की जाएगी।

कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि ''जैविक विविधता (संशोधन) अधिनियम को कमजोर'' कर दिया गया है। रमेश ने आरोप लगाया कि नियमों को बार-बार कमजोर बनाकर और एक संशोधन के माध्यम से, मोदी सरकार ने निजी कंपनियों को समुदायों के साथ लाभ साझा किए बिना जैव विविधता उत्पादों तक आसान पहुंच की अनुमति दी है।

कांग्रेस नेता ने कहा कि जब पूरी दुनिया कोविड महामारी से जूझ रही थी, तब मोदी सरकार ने पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के तहत नियमों में 39 संशोधन पारित किए।

उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री मोदी "अपने करीबी कॉर्पोरेट मित्रों को फायदा पहुंचाने के लिए" भारत के जंगलों को सौंपना और पर्यावरण को प्रदूषित करना आसान बनाना चाहते हैं।

Published: undefined

कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि 2020 से पर्यावरणीय प्रभाव मूल्यांकन मानदंडों को लगातार कमजोर किया गया है। उन्होंने दावा किया कि 2023 में उत्तरकाशी सिल्क्यारा सुरंग का ढहना प्रभाव मूल्यांकन मानदंडों के कमजोर होने के परिणामों का एक उदाहरण है।

इस घटना में 41 खनिक सुरंग के अंदर फंस गए थे जिन्हें कई दिन बाद निकाला जा सका था।

रमेश ने यह भी आरोप लगाया कि 2014 के बाद से राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) को लगातार कमजोर किया गया है। उन्होंने दावा किया, ''सिर्फ एनजीटी ही नहीं, यहां तक ​​कि उच्चतम न्यायालय की केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति को भी अब मोदी सरकार ने निगल लिया है।''

Published: undefined

रमेश ने कहा कि मोदी सरकार के तहत वायु प्रदूषण एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट में बदल गया है। उन्होंने दावा किया कि दिल्ली के हर साल गैस चैंबर बनने के पीछे केंद्र की विफलता जिम्मेदार रही है।

वन्यजीव संरक्षण अधिनियम को कमजोर करने का आरोप लगाते हुए रमेश ने कहा कि दिसंबर 2022 में कानून में एक विनाशकारी संशोधन ने वन्यजीवन को निजी हाथों में सौंपने का मार्ग प्रशस्त कर दिया। उन्होंने दावा किया कि कोयला खदानें कॉर्पोरेट लॉबिंग पर दी गईं।

रमेश ने कहा, "मोदी युग के तहत हो रहे सर्वाधिक खराब पर्यावरणीय अपराधों में से एक संवेदनशील क्षेत्रों को कोयला ब्लॉक के रूप में सौंपना है, मुख्य रूप से अडानी समूह को लाभ पहुंचाने के लिए। यह मोदानी घोटाले का एक नया घटक है जो सामने आता रहता है।"

उन्होंने कहा, ‘‘बीजेपी भारत के पर्यावरण के हर घटक को नष्ट करने पर इतनी आमादा क्यों है? वन संरक्षण, जैव विविधता संरक्षण, वन्यजीव संरक्षण, आदिवासी वन अधिकार, एनजीटी जैसे पर्यावरण संस्थान तक सबकुछ मोदी के अन्याय काल में रुकावट के दायरे में आ गए हैं।’’

रमेश ने कहा, ‘‘जून 2024 में, जब ‘इंडिया’ गठबंधन की सरकार सत्ता संभालेगी, तो इन प्रतिगामी कदमों को वापस ले लिया जाएगा और पर्यावरण की सुरक्षा बहाल की जाएगी।’’

पीटीआई के इनपुट के साथ

Published: undefined

Google न्यूज़नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें

प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia

Published: undefined