आतंकवादी कश्मीर में भय और आतंक पैदा करने के लिए जानबूझकर स्थानीय लोगों को निशाना बना रहे हैं। रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ने यह बात कही। उनके बयान से एक दिन पहले ही जम्मू-कश्मीर के गुलमर्ग इलाके में हुए आतंकवादी हमले में दो सैनिक समेत चार लोग मारे गए थे। मारे गए चार लोगों में से तीन - एक सैनिक तथा सेना के लिये कुली का काम करने वाले दो लोग- स्थानीय कश्मीरी मुसलमान थे।
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श्रीनगर स्थित रक्षा मंत्रालय के जनसंपर्क अधिकारी ने एक बयान में कहा कि पाकिस्तानी आतंकवादियों ने कश्मीर में शांति और स्थिरता को बाधित करने के उद्देश्य से सेना की एक टुकड़ी को कायराना तरीके से निशाना बनाया, जिसमें सैनिक और स्थानीय कुली शामिल थे।
उन्होंने बताया कि चौकस सैनिकों ने तेजी से और दृढ़ता से जवाबी कार्रवाई की, जिससे आतंकवादियों को पीछे हटने पर मजबूर होना पड़ा। वे अपना हथियार और झोला छोड़कर, कम रोशनी का फायदा उठाकर घने जंगल में भाग गए।
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उन्होंने कहा कि दो बहादुर सैनिक - अनंतनाग (जम्मू-कश्मीर) के राइफलमैन कैसर अहमद शाह और सिरसा (हरियाणा) के राइफलमैन जीवन सिंह - गोलीबारी के दौरान घायल होने के कारण शहीद हो गए।
उन्होंने कहा कि सेना उन सैनिकों की बहादुरी को सलाम करती है, जिन्होंने हमले के बावजूद जवाब दिया और अपनी जान कुर्बान करने से पहले आतंकवादियों को भागने पर मजबूर कर दिया।
जनसंपर्क अधिकारी ने कहा कि सैनिको का निस्वार्थ कार्य राष्ट्र और नागरिकों की सुरक्षा के लिए भारतीय सेना के संकल्प का प्रमाण है।
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उन्होंने कहा कि बहादुर सैनिकों के साथ-साथ दो कश्मीरी कुलियों (बोनियार तहसील के निवासी जहूर अहमद मीर और उरी तहसील के निवासी मुश्ताक अहमद चौधरी) ने भी सर्वोच्च बलिदान दिया।
अधिकारी ने कहा कि यह स्पष्ट है कि पाकिस्तानी आतंकवादी घाटी में भय और आतंक पैदा करने के लिए जानबूझकर स्थानीय कश्मीरी लोगों को निशाना बना रहे हैं, जो शांति और स्थिरता की ओर बढ़ रही है। इन आतंकवादियों की एकमात्र विचारधारा 'घाटी में आतंक का राज' है।"
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