कश्मीरी अलगाववादी नेता यासीन मलिक को उम्र कैद की सजा सुनाई गई है। एनआईए की एक विशेष अदालत ने सजा का ऐलान किया है। इसके साथ ही 10 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।
इससे पहले यासीन मलिक ने बुधवार को एनआईए की एक अदालत से कहा कि अगर खुफिया एजेंसियां आतंकवाद से जुड़ी किसी भी गतिविधि को साबित करती हैं, तो वह फांसी को स्वीकार कर लेंगे। विशेष एनआईए न्यायाधीश प्रवीण सिंह के समक्ष सुनवाई के दौरान मलिक ने कहा, "मैं किसी से भीख नहीं मांगूंगा। मामला इस अदालत के समक्ष है और मैं इस पर फैसला करने के लिए अदालत पर छोड़ता हूं।"
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बता दें कि यासीन मलिक को कुछ दिन पहले एक आतंकी फंडिंग मामले में दोषी ठहराया गया था। विशेष न्यायाधीश प्रवीण सिंह ने 19 मई को मलिक को गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत आरोपों में दोषी ठहराया था।
यासीन मलिक पर आपराधिक साजिश रचने, देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने, अन्य गैरकानूनी गतिविधियों और कश्मीर में शांति भंग करने का आरोप लगाया गया था। उसने इस मामले में अपना गुनाह कबूल कर लिया था।
सुनवाई की आखिरी तारीख को उसने अदालत को बताया था कि वह धारा 16 (आतंकवादी अधिनियम), 17 (आतंकवादी अधिनियम के लिए धन जुटाने), 18 (आतंकवादी कृत्य करने की साजिश), यूएपीए की धारा 20 (एक आतंकवादी गिरोह या संगठन का सदस्य होने के नाते) और भारतीय दंड संहिता की धारा 120-बी (आपराधिक साजिश) और 124-ए (देशद्रोह) समेत अपने खिलाफ लगाए गए आरोपों का मुकाबला नहीं करेगा।
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