हरियाणा सरकार और राज्य के सरकारी चिकित्सकों का प्रतिनिधित्व करने वाले एक संगठन के बीच वार्ता बेनतीजा रहने के कारण करीब 3,000 चिकित्सकों की अनिश्चितकालीन हड़ताल जारी रहेगी।
चिकित्सकों की हड़ताल बृहस्पतिवार को शुरू हुई। इससे राज्य सरकार के अस्पताल में स्वास्थ्य सेवाएं बुरी तरह प्रभावित रहीं। राज्य में सरकारी चिकित्सकों का प्रतिनिधित्व करने वाले ‘हरियाणा सिविल मेडिकल सर्विस एसोसिएशन’ ने अपनी विभिन्न मांगें पूरी न होने पर इस हड़ताल का आह्वान किया है।
देर शाम तक जारी रही दूसरे दौर की वार्ता के अंत में एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. राजेश ख्यालिया ने कहा, ‘‘करियर प्रोन्नति योजना जैसी मांगों पर अभी तक कोई खास प्रगति नहीं हुई है। इसलिए स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह बंद रहेंगी। चार चिकित्सकों (जिनमें ख्यालिया भी शामिल हैं) की भूख हड़ताल भी जारी रहेगी।’’
उन्होंने कहा कि अतिरिक्त मुख्य सचिव (स्वास्थ्य) के साथ दूसरे दौर की वार्ता में कुछ खास नतीजा नहीं निकला। हरियाणा के सरकारी अस्पतालों में बाह्य चिकित्सा विभाग (ओपीडी) के सामने लंबी कतारें देखने को मिली और स्वास्थ्य सेवाएं भी प्रभावित हुईं। मरीजों ने शिकायत की कि इंटर्न और सेवानिवृत चिकित्सक उनका इलाज कर रहे हैं। ये चिकित्सक विशेषज्ञ कैडर का गठन, करियर प्रोन्नति योजना की मांग कर रहे हैं ताकि केंद्र सरकार की चिकित्सकों के साथ उनकी समानता सुनिश्चित हो।
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एसोसिएशन ने चिकित्सकों की मांगें पूरी न होने के विरोध में सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाएं बंद करने का आह्वान किया था। दिन में, डॉ. ख्यालिया ने कहा, ‘‘राज्य भर में विभिन्न सरकारी अस्पतालों के चिकित्सक अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गये हैं।’’
उन्होंने कहा कि इस हड़ताल में सिविल अस्पताल, उपजिला अस्पताल, सामुदायिक एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र शामिल हैं। ख्यालिया ने कहा कि ओपीडी, आपात चिकित्सा और पोस्टमार्टम पर भी असर पड़ा है।
चिकित्सकों की अन्य मांगों में वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारियों की सीधी भर्ती नहीं किया जाना तथा स्नातोकोत्तर पाठ्यक्रमों के लिए बॉण्ड राशि में कमी लाना शामिल हैं।
पानीपत, गुरुग्राम, भिवानी और हिसार सहित कई स्थानों पर जिला अस्पतालों के बाह्य रोगी विभाग (ओपीडी) में मरीजों की लंबी कतारें देखी गईं। मरीजों ने कहा कि उन्हें बताया गया कि चिकित्सक हड़ताल पर हैं।
कुछ अन्य स्थानों पर ओपीडी में इलाज कराने आए कुछ मरीजों ने बताया कि स्नातकोत्तर प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे, इंटर्नशिप कर रहे और सेवानिवृत्त चिकित्सक उनका इलाज कर रहे हैं।
हालांकि, स्वास्थ्य अधिकारियों ने कहा है कि वैकल्पिक इंतजाम किये गये हैं ताकि मरीजों को ज्यादा असुविधा न हो।
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डॉ ख्यालिया ने बुधवार को कहा था, ''पिछले कई महीनों से हमारी मांग के संबंध में हमें केवल आश्वासन दिया जा रहा है, लेकिन इन्हें अभी तक पूरा नहीं किया गया। इसलिए हमने ओपीडी, आपातकालीन कक्ष, पोस्टमार्टम सहित अन्य स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह बंद रखने का फैसला किया है।''
उन्होंने कहा, ''स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव ने 18 जुलाई को हमें आश्वासन दिया था कि हमारी दो मांगों -- पक्की करियर प्रोन्नति एव बॉण्ड मुद्दे के संबंध में 24 जुलाई से पहले अधिसूचना जारी कर दी जाएगी लेकिन कुछ भी नहीं हुआ।''
डॉ. ख्यालिया ने कहा, ''हमने सरकार से एक महीने पहले कहा था कि अगर हमारी मांगें पूरी नहीं की गईं तो हम 25 जुलाई से सभी सेवाएं बंद कर देंगे।''
एसोसिएशन को भेजे पत्र में राज्य के स्वास्थ्य मंत्री कमल गुप्ता ने चिकित्सकों से आग्रह किया है कि वे हड़ताल से आम जनता पर पड़ने वाले प्रभाव पर विचार करें।
उन्होंने कहा, ''मैं समझता हूं कि... आपके सदस्यों द्वारा अनेक महत्वपूर्ण मांगें रखी गई हैं और मैं आपको आश्वस्त करना चाहता हूं कि आपकी इन मांगों पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है।''
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, ''हाल ही में मैंने मुख्यमंत्री और अन्य उच्च अधिकारियों के साथ इन मामलों पर विस्तार से चर्चा करने के लिए एक बैठक की थी। हम आपकी मांगों के महत्व को समझते हैं और इसके लिए हम एक ऐसा समाधान निकालने का प्रयास कर रहे हैं जो सभी संबंधित पक्षों के लिए भी संतोषजनक हो।''
राज्य के सरकारी चिकित्सकों ने 15 जुलाई को अपनी मांगों को लेकर दो घंटे की हड़ताल की थी। हड़ताल के कारण राज्य भर के सरकारी स्वास्थ्य केन्द्रों में ओपीडी सेवाएं प्रभावित हुई थीं।
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