ताइवान ने चीन की आक्रामकता में भारी वृद्धि को लेकर चेतावनी दी है कि अगर कब्जे की कोशिश हुई तो एशिया में इसका विनाशकारी परिणाम होगा। ताइवान की राष्ट्रपति त्साई इंग-वेन ने स्पष्ट किया है कि अपने आपको बचाने के लिए के लिए जो भी करना पड़ेगा, उसे करने से ताइवान नहीं चूकेगा।
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दरअसल शुक्रवार से अब तक लगभग 150 चीनी युद्धक विमानों ने ताइवान के हवाई क्षेत्र का उल्लंघन किया है। सोमवार को 56 जेट विमानों ने ताइवान के हवाई क्षेत्र में उड़ान भरी, जिसे चीनी आक्रामकता में बड़ी वृद्धि के तौर पर देखा जा रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने स्व-शासित लोकतंत्र की जब्ती को 'अपरिहार्य' बताया है। बीजिंग त्साई पर उसी समय से दबाव डाल रहा है, जब वह 2016 में एक 'स्वतंत्र' ताइवान के जनादेश पर चुनी गई थीं।
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चीन की राष्ट्रीय मीडिया ने हाल के दिनों में चेतावनी जारी की है, जिसमें यह भी पूछा गया है कि क्या ऑस्ट्रेलिया युद्धबलि के लिए ताइवान का साथ देने के लिए तैयार है। ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन और अमेरिका के बीच एक नए सुरक्षा समझौते पर हस्ताक्षर होने के बाद से ऑस्ट्रेलिया पिछले कुछ हफ्तों से चीनी क्रोध का शिकार हो रहा है। सौदे में, वाशिंगटन और लंदन कैनबरा के साथ परमाणु पनडुब्बी प्रौद्योगिकी साझा करने पर सहमत हुए हैं। इसने बीजिंग को नाराज कर दिया है, क्योंकि यह नाटकीय रूप से दक्षिण चीन सागर में शक्ति संतुलन को बदल देगा।
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मंगलवार को प्रकाशित एक लेख में ताइवान की राष्ट्रपति त्साई ने कहा कि उन्हें याद रखना चाहिए कि यदि ताइवान पर कब्जा होता है, तो परिणाम क्षेत्रीय शांति और लोकतांत्रिक गठबंधन प्रणाली के लिए विनाशकारी होंगे। राष्ट्रपति त्साई का यह बयान एक ऐसे समय पर सामने आया है, जब चीन ताइवान पर जबरदस्त दबाव बना रहा है। बता दें कि ताइवान अपने आपको एक स्व-शासित लोकतांत्रिक द्वीप के तौर पर देखता रहा है, लेकिन चीन का मानना है कि ताइवान उसका हिस्सा है।
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