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मोदी सरकार के खिलाफ किसानों की हुंकार के बीच स्वामीनाथन की रिपोर्ट कृषि मंत्रालय की वेबसाइट से गायब

स्वामीनाथन की रिपोर्ट के मंत्रालय की वेबसाइट से गायब होने की खबर ऐसे वक्त पर आई, जब एमएसपी पर कानून समेत अपनी तमाम मांगों को लेकर किसानों ने मोदी सराकर के खिलाफ फिर से हुंकार भरी है।

फोटो: Getty Images
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देश के कई राज्यों के किसान एक बार फिर अपनी मांगों को लेकर दिल्ली का रुख कर दिया है। उनके प्रदर्शन को देखते हुए राजधानी की सीमाओं पर भारी संख्या में पुलिस और अर्द्धसैन्य बलों की तैनाती की गई है। दिल्ली कूच कर रहे किसानों की मांग है कि केंद्र सरकार स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को जल्दी लागू करे। किसान लगातार स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने की मांग कर रहे हैं।

इस बीच भारत रत्न (मरणोपरांत) से सम्मानित स्वामीनाथन की रिपोर्ट कृषि और किसान मंत्रालय की आधिकारिक वेबसाइट से गायब हो गई है। इंडियन एक्सप्रेस के दिल्ली कॉन्फिडेंशियल में इस बात की जानकारी दी गई है। रिपोर्ट के मुताबिक, इससे पहले मंत्रालय की वेबसाइट पर स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट के सभी खंड मौजूद थे। लेकिन अब वहां मौजूद नहीं है। बता दें कि स्वामीनाथन ने ये रिपोर्ट राष्ट्रीय किसान आयोग के अध्यक्ष के पद पर रहकर लिखी थीं। 

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स्वामीनाथन की रिपोर्ट के मंत्रालय की वेबसाइट से गायब होने की खबर ऐसे वक्त पर आई, जब एमएसपी पर कानून समेत अपनी तमाम मांगों को लेकर किसानों ने मोदी सराकर के खिलाफ फिर से हुंकार भरी है। किसानों की मांग है कि उनकी फसलों की कीमत स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक तय की जानी चाहिए। 

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क्या है स्वामीनाथन आयोग?

जब मनमोहन सिंह की अगुवाई में यूपीए की सरकार बनी, तो नवंबर 2004 में एमएस स्वामीनाथन की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई गई थी। इसे 'नेशनल कमीशन ऑन फार्मर्स' नाम दिया गया था। उन्हीं के नाम पर इस आयोग का नाम पड़ा। एमएस स्वामीनाथन ने किसानों की आर्थिक दशा सुधारने और खेती में पैदावार बढ़ाने को लेकर कई सिफारिशें दी थीं। दिसंबर 2004 से अक्टूबर 2006 के बीच आयोग ने 6 रिपोर्ट तैयार की थी।

आयोग ने किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए कई सारी सिफारिशें की थीं। इसमें एमएसपी को लेकर भी सिफारिश की गई थी। 

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