देश में मंकीपॉक्स के बढ़ते मामलों की वजह से लोगों में खौफ का माहौल है। हिमाचल प्रदेश के सोलन में मंकीपॉक्स का संदिग्ध मामला सामने आया है। गौर करने वाली बात यह है कि मरीज का कोई भी फॉरेन ट्रैवल हिस्ट्री नहीं है। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, मरीज के सैंपल को पुणे के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी भेजा गया है। रिपोर्ट का इंतजार है।
सोलन के बद्दी इलाके के रहने वाले व्यक्ति में 21 दिन पहले संक्रमण के लक्षण दिखे थे। हालांकि वह फिलहाल स्वस्थ्य है। लेकिन प्रदेश में मंकीपॉक्स का संदिग्ध मरीज मिलने से स्वास्थ्य विभाग में खलबली मच गई है। स्वास्थ्य विभाग ने मरीज को आइसोलेशन में रखा है। आसपास के इलाकों में निगरानी की जा रही है।
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WHO के मुताबिक मंकी पॉक्स संक्रमण का इनक्यूबेशन पीरियड (संक्रमण होने से लक्षणों की शुरुआत तक) आमतौर पर 6 से 13 दिनों का होता है, हालांकि कुछ लोगों में यह 5 से 21 दिनों तक भी हो सकता है।
संक्रमित व्यक्ति को बुखार, तेज सिरदर्द, लिम्फैडेनोपैथी (लिम्फ नोड्स की सूजन), पीठ और मांसपेशियों में दर्द के साथ गंभीर कमजोरी का अनुभव हो सकता है।
लिम्फ नोड्स की सूजन की समस्या को सबसे आम लक्षण माना जाता है। इसके अलावा रोगी के चेहरे और हाथ-पांव पर बड़े आकार के दाने हो सकते हैं। कुछ गंभीर संक्रमितों में यह दाने आंखों के कॉर्निया को भी प्रभावित कर सकते हैं।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक मंकीपॉक्स से मौत के मामले 11 फीसदी तक हो सकते हैं। संक्रमण के छोटे बच्चों में मौत का खतरा अधिक रहता है।
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मंकी पॉक्स का लक्षण दिखते ही डॉक्टर से संपर्क करने की जरूरत है।
मंकी पॉक्स के लक्षण जैसे स्कीन में रैशेज हो तो, दूसरों के संपर्क में आने से बचना चाहिए।
जिस व्यक्ति में मंकी पॉक्स के लक्षण दिख रहे हैं, उनकी चादर, तौलिया या कपड़ों जैसी पर्सनल चीजों का इंस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
बार-बार अपने हाथों को साबुन या फिर सैनिटाइजर से साफ करते रहें।
मंकी पॉक्स के लक्षण दिखते ही घर के एक कमरे में अकेले रहें।
अपने पालतू जानवरों से भी दूरी बनाकर रखने की जरूरत है।
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