कृषि विधेयकों पर जोरदार विरोध के दौरान कथित तौर पर उपसभापति से दुर्व्यवहार के आरोप में राज्यसभा से निलंबित किए गए आठों विपक्षी सांसद संसद परिसर में गांधी प्रतिमा के सामने धरने पर बैठे हुए हैं। निलंबित सांसदों का कहना है कि वे पूरी रात धरना देंगे और तब तक धरने पर बैठे रहेंगे, जब तक उनका निलंबन वापस नहीं ले लिया जाता।
इस बीच, देर शाम धरने पर बैठे निलंबित विपक्षी सांसदों को समर्थन देने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद धरना स्थल पर पहुंचे। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार का कृषि बिल किसानों को बर्बाद करने वाला है। उन्होंने कहा कि राज्यसभा में जबरदस्ती यह बिल पास करवाया गया। आजाद ने कहा कि बिल पर डिवीजन मांगा गया था, लेकिन डिवीजन नहीं कराया। जबकि नियम है कि अगर एक सदस्य भी डिवीजन मांगता है, तो डिवीजन करवाया जाता है। लेकिन इसे ऐसे ही पास कर दिया गया, जबकि राज्यसभा में बहुमत इस बिल के खिलाफ था।
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राज्यसभा उपसभापति के साथ कथित दुर्व्यवहार पर गुलाम नबी आजाद ने सफाई देते हुए कहा कि हंगामे के दौरान सांसदों ने किसी को हाथ नहीं लगाया था। आजाद ने कहा कि हंगामे के दौरान न तो उपसभापति हरिवंश नारायण को और न ही किसी मार्शल को हाथ लगाया गया। इस तरह के सारे आकोप गलत हैं।
वरिष्ठ नेता ने कहा कि हाउस को अगर एक बजे के बाद बढ़ाना था तो सदन का सेंस लिया जाता है। लेकिन उस दिन हाउस का सेंस था कि सदन नहीं बढ़ाया जाना चाहिए, लेकिन फिर भी हाउस बढ़ा दिया गया। आजाद ने कहा कि जो सांसद नियम बता रहे थे, प्रक्रिया और परंपरा बता रहे थे, उन्हीं को सदन से निकाल दिया गया।
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इस बीच संसद परिसर में धरने पर बैठे निलंबित विपक्षी सांसदों का कहना है कि वे रात भर धरना देंगे। सांसदों ने कहा कि उनके निलंबन को लेकर कल राज्यसभा में जो फैसला होगा, उस पर आगे की कार्यवाही निर्भर होगी। हालांकि, सांसदों ने जोर देकर कहा कि जब तक उनका निलंबन वापस नहीं लिया जाता है, उनका धरना जारी रहेगा।
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