आईआईटी दिल्ली में बीते दिनों दो दलित छात्रों की आत्महत्या के मामले सामने आए थे, जिसके बाद संस्थान के छात्रों में मानसिक तनाव और जातिगत भेदभाव जानने के लिए एक सर्वे शुरू किया गया था। हालांकि आईआईटी दिल्ली का यह सर्वे शुरू होते ही विरोध के चलते महज कुछ घंटों के भीतर बंद करना पड़ा। दरअसल छात्रों का कहना है कि सर्वे में पूछे गए सवाल पूर्वाग्रह से ग्रसित थे।
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आईआईटी दिल्ली में लगभग 2 महीने के दौरान दो छात्रों की आत्महत्या के बाद, छात्र प्रकाशन बोर्ड (बीएसपी) द्वारा प्रसारित जातिगत भेदभाव पर एक परिसर-व्यापी सर्वेक्षण शुरू किया गया था। हालांकि जल्द ही आईआईटी के भीतर सर्वेक्षण को लेकर विरोध शुरू हो गया। छात्रों का कहना है कि सर्वे का डिजाइन पक्षपाती, असंवेदनशील और समस्याग्रस्त है। वहीं आईआईटी दिल्ली के एससी एसटी सेल का कहना है कि सर्वेक्षण पर उनसे कोई परामर्श तक नहीं किया गया।
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गौरतलब है कि जुलाई में बीटेक अंतिम वर्ष के छात्र आयुष आशना ने आत्महत्या की थी। इसके बाद इसी विभाग के एक और छात्र अनिल कुमार की भी आत्महत्या का मामला सामने आया। कुमार की मौत के बाद आईआईटी-दिल्ली के छात्रों में जातिगत भेदभाव के संकेतों की जांच करने और गणित एवं कंप्यूटिंग विभाग में जांच शुरू करने की मांग को लेकर नए सिरे से आक्रोश पैदा हो गया।
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आईआईटी दिल्ली कैंपस के छात्रों ने बताया कि उन्हें बीएसपी के प्रकाशनों में से एक ‘द इन्क्वायरर’ के अगले संस्करण के लिए किए जा रहे एक सर्वे के बारे में पता चला था। बीएसपी संस्थान का आधिकारिक तौर पर मान्यता प्राप्त छात्र प्रकाशन है और इसका नेतृत्व रसायन विज्ञान विभाग के एक प्रोफेसर करते हैं।
‘जाति-आधारित भेदभाव पर छात्र सर्वे’ शीर्षक वाले सर्वे में नौ खंड शामिल थे, जिनमें कुल लगभग 45 प्रश्न थे और इसे गूगल फॉर्म पर प्रसारित किया जा रहा था। सर्वे में उत्तरदाताओं की पहचान गोपनीय रखने की बात कही गई थी। हालांकि, आईआईटी दिल्ली के छात्र इस सर्वे से संतुष्ट नहीं थे।
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उनका कहना था कि सर्वे में पूछे गए प्रश्न आपत्तिजनक हैं। सर्वे तैयार करने या पूछे जाने से पहले एससी-एसटी सेल की मंजूरी नहीं ली गई। इस इस प्रकार के गैर तार्किक प्रश्नों से समस्या को सुलझाने में मदद मिलना मुश्किल है। आईआईटी दिल्ली स्थित बीएसपी ने यह स्वीकार किया कि सर्वे से पहले प्रक्रिया का पूरी तरह से पालन नहीं किया गया। यही कारण रहा कि बीएसपी ने सर्वे वापस ले लिया है।
गौरतलब है कि आईआईटी में हुए आत्महत्या के इन मामलों से अन्य संस्थानों के छात्र भी परेशान हुए हैं। विभिन्न विश्वविद्यालयों के कई छात्र संगठनों ने इस पर गहरा असंतोष जाहिर करते हुए प्रशासन से ऐसे मामलों को रोके जाने की मांग की है।
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