सीवोटर द्वारा आईएएनएस के लिए किए गए एक विशेष सर्वे से पता चलता है कि देश के अधिकतर लोग भारतीय पहलवानों के पीछे सपोर्ट में खड़े हैं, जिन्होंने बीजेपी सांसद और भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह पर यौन उत्पीड़न और छेड़छाड़ का आरोप लगाया है। उनके खिलाफ दर्ज कई एफआईआर में से एक पोक्सो अधिनियम के तहत दर्ज किया गया है, जो नाबालिगों के खिलाफ यौन अपराधों के लिए लगता है। सर्वे में 1,816 लोगों ने भाग लिया है।
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सर्वे में एक सवाल था कि पहलवानों द्वारा लगाए गए आरोपों के स्तर और बृजभूषण शरण सिंह द्वारा दिए गए स्पष्टीकरणों को देखते हुए, कौन सच बोल रहा है? कुल मिलाकर, दो तिहाई उत्तरदाताओं की राय थी कि पहलवान सच बोल रहे हैं, जबकि लगभग 18 प्रतिशत ने महसूस किया कि बीजेपी सांसद सच बोल रहे हैं। खास यह कि एनडीए को समर्थन और वोट देने वालों में से 54 फीसदी से ज्यादा का मत था कि पहलवान सच बोल रहे हैं जबकि 20 फीसदी से ज्यादा की कोई राय नहीं है।
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सीवोटर सर्वे में एक और ओपन एंडेड सवाल ने पहलवानों और बृज भूषण शरण सिंह के बीच चल रहे विवाद पर लोगों से उनकी समग्र राय पूछी। 63 प्रतिशत से अधिक उत्तरदाताओं ने कहा कि यह महिला पहलवानों के खिलाफ यौन उत्पीड़न की सच्चाई को सामने लाने की लड़ाई है। केवल लगभग 8 प्रतिशत लोगों को लगता है कि यह पहलवानों और कुश्ती संघ के बीच वर्चस्व की लड़ाई है, जबकि 20 प्रतिशत से कम लोगों का मानना है कि यह राजनीतिक लाभ के लिए विपक्षी दलों द्वारा पहलवानों का इस्तेमाल किए जाने के बारे में है।
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बता दें कि विग्नेश फोगाट, साक्षी मलिक और बजरंग पुनिया जैसे एशियाई, राष्ट्रमंडल और ओलंपिक खेलों में पदक विजेताओं सहित कई पहलवानों ने इस साल जनवरी में बृजभूषण सिंह के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए थे। खेल मंत्रालय ने आरोपों की जांच के लिए एक समिति का गठन किया था। एक खामोशी के बाद अप्रैल से पहलवानों का विरोध तेज हो गया है। प्रदर्शनकारी पहलवान बृजभूषण सिंह की तत्काल गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं, जबकि सिंह का दावा है कि उन्हें झूठे आरोपों में फंसाया जा रहा है।
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मामले में बृजभूषण सिंह के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होने और अधिकारियों की निष्क्रियता के खिलाफ अप्रैल में पहलवानों ने दिल्ली में जंतर-मंतर पर अपना विरोध दोबारा शुरू किया था। इसके बाद से बड़ी संख्या में विपक्षी दलों और नागरिक समाज समूहों ने पहलवानों का समर्थन किया है। सरकार की तरफ से लगातार चुप्पी के खिलाफ पहलवानों ने 28 मई को नए संसद भवन की ओर मार्च करने का ऐलान किया था, लेकिन उससे पहले ही उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था। बाद में जंतर-मंतर से भी उन्हें हटा दिया गया।
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