बीजेपी सांसद और भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ पहलवानों के विरोध पर जनता की राय जानने के लिए सीवोटर द्वारा किए गए एक विशेष सर्वेक्षण से पता चलता है कि भारतीयों का एक बड़ा हिस्सा चाहता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस पूरे मामले में अपनी चुप्पी तोड़ें और हस्तक्षेप करें। पार्टी सांसद पर महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न के आरोपों पर पीएम मोदी की चुप्पी पर सवाल उठने लगे हैं।
सर्वे में करीब 68 प्रतिशत से अधिक उत्तरदाता चाहते हैं कि पीएम मोदी व्यक्तिगत रूप से हस्तक्षेप करें, जबकि केवल 19 प्रतिशत की राय है कि उन्हें हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। विपक्षी पार्टियों के हर चार में से तीन समर्थक सोचते हैं कि पीएम को दखल देना चाहिए जबकि ऐसा सोचने वाले एनडीए समर्थकों की संख्या लगभग 58 प्रतिशत है।
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वहीं सर्वेक्षण के दौरान एक प्रश्न यह भी था कि क्या आपको लगता है कि पहलवानों और बृजभूषण शरण सिंह के बीच विवाद के कारण बीजेपी को चुनावी नुकसान होगा? इस पर करीब दो तिहाई उत्तरदाताओं का मानना है कि बीजेपी को चुनावी रूप से काफी हद तक या कुछ हद तक नुकसान होगा। इसके उलट सिर्फ 22.5 फीसदी का मानना है कि बीजेपी को नुकसान नहीं होगा। एनडीए के समर्थकों में भी, लगभग 54 प्रतिशत उत्तरदाताओं का मानना है कि बीजेपी को चुनावी दृष्टि से नुकसान होगा।
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इस विशेष सर्वेक्षण से यह भी पता चला है कि देश के अधिकांश लोग न केवल उन महिला पहलवानों का समर्थन करते हैं, जिन्होंने बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ यौन उत्पीड़न और छेड़छाड़ के आरोप लगाए हैं, बल्कि यह भी चाहते हैं कि पुलिस बृजभूषण को जल्द से जल्द गिरफ्तार करे। साथ ही यह भी पता चलता है कि मामले में दिल्ली पुलिस की अब तक की कार्रवाई से ज्यादातर लोग संतुष्ट नहीं हैं।
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बता दें कि विनेश फोगाट, साक्षी मलिक और बजरंग पुनिया जैसे एशियाई, राष्ट्रमंडल और ओलंपिक खेलों में पदक विजेताओं सहित कई पहलवानों ने इस साल जनवरी में बृजभूषण सिंह के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए थे। खेल मंत्रालय ने आरोपों की जांच के लिए एक समिति का गठन किया था। एक खामोशी के बाद अप्रैल से पहलवानों का विरोध तेज हो गया है। प्रदर्शनकारी पहलवान बृजभूषण सिंह की तत्काल गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं, जबकि सिंह का दावा है कि उन्हें झूठे आरोपों में फंसाया जा रहा है।
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मामले में बृजभूषण सिंह के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होने और अधिकारियों की निष्क्रियता के खिलाफ अप्रैल में पहलवानों ने दिल्ली में जंतर-मंतर पर अपना विरोध दोबारा शुरू किया था। इसके बाद से बड़ी संख्या में विपक्षी दलों और नागरिक समाज समूहों ने पहलवानों का समर्थन किया है। सरकार की तरफ से लगातार चुप्पी के खिलाफ पहलवानों ने 28 मई को नए संसद भवन की ओर मार्च करने का ऐलान किया था, लेकिन उससे पहले ही उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था। बाद में जंतर-मंतर से भी उन्हें हटा दिया गया।
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