हरियाणा लोकसेवा आयोग के उपसचिव अनिल नागर को बर्खास्त कर नौकरी घोटाले का उसे मास्टर माइंड करार देने के बाद खट्टर सरकार और सवालों से घिर गई है। कांग्रेस महासचिव रणदीप सुरजेवाला ने राज्य सरकार पर बड़ा हमला बोलते हुए कहा है कि "सात साल से नौकरियों की मंडी लगा बेचने और पूरे ‘नौकरी बिक्री घोटाले’ के रंगे हाथों पकड़े जाने के बाद खट्टर सरकार ‘‘ऑपरेशन अटैची कांड कवरअप’’ में जुटी है। सत्ता में बैठे सफेदपोशों, एचपीएससी व एचएसएससी के ‘चेयरमैन’, ‘मेंबर्स’ तथा सत्ता के गलियारे से जुड़े ‘नौकरी के दलालों’ को बचाने का जुगाड़ बिठाया जा रहा है।"
सुरजेवाला ने चंडीगढ़ में कहा कि "हरियाणा के राज्यपाल द्वारा आरोपी अनिल नागर की बर्खास्तगी के आदेश से इस ‘‘घोटाला दबाओ-असली घोटालेबाज बचाओ’’ योजना का पूरी तरह पर्दाफाश हो गया है। हरियाणा के युवाओं के भविष्य को बोली लगाकर दलालों के हाथ बेचने के कुकर्मों से भाजपा-जजपा सरकार नहीं बच सकती। अनिल नागर की बर्खास्तगी के बाद उठे महत्वपूर्ण सवालों का जवाब देना होगा।
सुरजेवाला ने कहा कि "जब नौकरियों के पेपर व अन्य सारे रिकॉर्ड में फर्जीवाड़ा स्वीकार कर लिया तो फिर रिश्वतखोरी से लगाई नौकरियां कैंसल क्यों नहीं की जा रहीं? अनिल नागर के बर्खास्तगी आदेश के पैरा 10 में गवर्नर महोदय ने स्वीकार किया है कि नौकरी भर्ती का सारा रिकॉर्ड अनिल नागर की ‘कस्टडी’ यानि देखरेख में था। नौकरी भर्ती के पेपर सहित इस सारे रिकॉर्ड की कोई वैधता नहीं बची। ऐसे में जब एचसीएस (प्रिलिमिनरी), डेंटल सर्जन व अनिल नागर की ‘कस्टडी‘ में रखे सभी नौकरी भर्ती पूरी तरह से अवैध हैं तो खट्टर सरकार इन सारी नौकरियों को सिरे से खारिज क्यों नहीं कर रही? उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर अब भी चुप क्यों हैं?"
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सुरजेवाला ने कहा कि 17 नवंबर को लिखी गई एफआईआर नंबर 4 तथा विजिलेंस द्वारा दी गई 23 नवंबर की रिमांड दरख्वास्त के मुताबिक भी एचएसएससी की वीएलडीए, स्टॉफ नर्स, एएनएम व अन्य भर्तियों में भी इसी गिरोह के द्वारा रिश्वत लेकर नौकरी लगाने का धंधा जोरो-शोरों से किया जा रहा था। एचएसएससी में भर्ती कराने वाले इसी गिरोह के अश्विनी शर्मा इत्यादि का नाम 7 दिसंबर के गवर्नर के आदेश में भी उल्लिखित है। तो फिर एचएसएससी की इन सारी भर्तियों को खट्टर सरकार खारिज क्यों नहीं कर रही? क्या छिपाने और किसको बचाने की साजिश की जा रही है?
सुरजेवाला ने सवाल उठाया कि आखिर नामज़द मुख्य आरोपियों को क्यों बचा रही खट्टर सरकार। एफआईआर तथा रिमांड एप्लीकेशन में मुख्य अभियुक्त, जसबीर सिंह भलारा, मालिक, मेसर्स सेफडॉट ई-सॉल्यूशंस प्राईवेट लिमिटेड तथा उसके कर्मचारी, विजय भलारा को इस पूरे नौकरी भर्ती घोटाले का ‘‘किंगपिन’’ बताया है, जिसके माध्यम से यह नौकरी भर्ती घोटाला पिछले सात साल से चलाया जा रहा था। एफआईआर और विजिलेंस विभाग द्वारा दी गई रिमांड दरख्वास्तों में जसबीर सिंह भलारा, मालिक, मेसर्स सेफडॉट ई-सॉल्यूशंस प्राईवेट लिमिटेड व उसके कर्मचारी, विजय भलारा की स्पष्ट भूमिका होने के बावजूद आज तक न तो उन्हें जांच के लिए बुलाया गया, न गिरफ्तार किया गया और न ही सेफडॉट ई-सॉल्यूशंस प्राईवेट लिमिटेड को रेड किया गया। उन्होंने कहा कि खट्टर सरकार मुख्य आरोपियों को क्या इसलिए बचा रही है कि घोटाले के सारे राज न पकड़े जाएं?
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सुरजेवाला ने कहा कि सात दिसंबर के गवर्नर के अनिल नागर की बर्खास्तगी के आदेश से तो जसबीर सिंह भलारा, सेफडॉट ई-सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड व विजय भलारा का नाम तथा भूमिका पूरी तरह से हटा दी गई। क्या यह साजिश इसलिए की जा रही है, ताकि असली सफेदपोशों और घोटालेबाजों के चेहरे कभी भी उजागर न हों? कांग्रेस महासचिव ने कहा कि, "खट्टर सरकार अनिल नागर की जांच से क्यों डरती है? गवर्नर हरियाणा के आदेश में यह लिखा है कि अनिल नागर के खिलाफ जांच करना संभव नहीं। अनिल नागर न तो उग्रवादी है, न नक्सलवादी है। अनिल नागर की जांच से न तो राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा है और न ही दंगे होने का अंदेशा है। ऐसे में उसकी जांच क्यों नहीं की जा रही?"
उन्होंने कहा कि, "एचपीएससी के चेयरमैन व मेंबर स्वयं मिलकर गवर्नर को अनिल नागर द्वारा किए गए भर्ती घोटाले की जांच न करने की सलाह क्यों दे रहे हैं? क्या यह सब इसलिए नहीं किया जा रहा, ताकि पूरा घोटाला न खुल पाए और घोटाले में संलिप्त एचपीएससी के लोगों, सरकार में बैठे सफेदपोशों तथा दलालों के नाम सामने न आएं? कांग्रेस महासचिव ने कहा कि खट्टर सरकार व विजिलेंस विभाग ने आज तक न तो एचपीएससी या एचएसएससी के चेयरमैन व मेंबरों से पूछताछ की, उनकी संलिप्तता व भागीदारी की जांच की और न ही रिश्वत देकर नौकरी लगे अभ्यर्थियों से कोई पूछताछ की। ऐसा होता तो सारा घोटाला, उसके राजदार व साजिशकर्ता सामने आ जाते। खट्टर सरकार ने अनिल नागर, अश्विनी शर्मा व नवीन का रिमांड क्यों नहीं लिया और अपील क्यों नहीं दायर की?
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सुरजेवाला ने कहा कि विजिलेंस विभाग के मुताबिक अनिल नागर ने नौकरी घोटाले से जुड़े कागजात अपने रोहतक शहर स्थित निवास तथा गांव रिठाल, जिला रोहतक में अपने मामा के घर एक अलमारी में छिपा रखे थे। आरोपी अश्विनी शर्मा ने नौकरी भर्ती घोटोले से जुड़े कागज भिवानी, नोएडा, यूपी के ठिकानों तथा शिव कॉलोनी, सोनीपत में छिपा रखे थे। आरोपी नवीन कुमार ने गांव कोंड, जिला भिवानी; सोलन, हिमाचल प्रदेश व शिव कॉलोनी, सोनीपत में छिपा रखे थे। जांच में आरोपियों को इनमें से किसी भी स्थान पर न लेकर जाया गया और न ही कोई बरामदगी की। ऐसा क्यों?
सुरजेवाला ने कहा कि यही नहीं जब इन तीनों आरोपियों का पुलिस रिमांड खारिज हो गया तो खट्टर सरकार ने जानबूझकर मजिस्ट्रेट के आदेश के खिलाफ न तो अपील दायर की और न ही अदालत में दोबारा दरख्वास्त दे पुलिस रिमांड मांगा। ऐसा क्यों? क्या इससे साफ नहीं है कि खट्टर सरकार पूरे घोटाले पर ही पर्दा डालना चाहती है। हर रोज नए होते साजिश के पर्दाफाशों से अब साफ है कि अनिल नागर, अश्विनी शर्मा व नवीन तो मात्र मोहरे हैं और असल आरोपी सत्ता के गलियारों में बड़े-बड़े स्थानों पर बैठे हैं तथा पूरे मामले को रफा-दफा करने का षडयंत्र कर रहे हैं। इसीलिए पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता में बनी एसआईटी ही इस नौकरी घोटाले का पर्दाफाश कर पाएगी।
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