जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाए जाने के खिलाफ जनहित याचिका दायर करने पर वकील एमएल शर्मा को सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाई है। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने याचिकाकर्ता से कहा, “मैंने आपकी याचिका को आधे घंटे तक पढ़ा, लेकिन समझ नहीं पाया कि यह याचिका किस बारे में है।”
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सीजेआई ने याचिकाकर्ता वकील एमएल शर्मा से कहा कि जनहित याचिका के साथ कोई एनेक्सचर नहीं लगाया गया है। मैं आपकी याचिका पिछले आधे घंटे से पढ़ने की कोशिश कर रहा हूं, लेकिन कुछ समझ नहीं पा रहा। आपकी प्रेयर क्या है। कुछ पता नहीं, आप कहना क्या चाहते हैं।
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रंजन गगोई ने आगे कहा, “हम आपकी याचिका को खारिज कर सकते थे, पर अभी नही कर रहे क्योंकि इससे संबंधित अन्य याचिकाओं पर इसका असर पड़ेगा।” इस पर याचिकाकर्ता एमएल शर्मा ने याचिका में संसोधन की इजाजत मांगी। एमएल शर्मा ने कहा कि वो सही फॉर्म में याचिका इसलिए दाखिल नहीं कर पाए, क्याकि उनकी आंख में चोट लग गई थी।
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इस मामले पर दूसरी याचिका कश्मीर टाइम्स की संपादक अनुराधा भसीन ने दायर की थी। उस पर भी सुनवाई हुई। इस याचिका में कहा गया था कि धारा 370 हटाए जाने के बाद से पत्रकारों पर लगाया जाने वाला नियंत्रण पूरी तरह से खत्म किया जाना चाहिए। इस पर जवाब देते हुए केंद्र सरकार ने केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट में कहा कि सरकार वहां की स्थिति का लगातार आकलन कर रही है। वक्त के साथ प्रतिबंध हटाए जा रहे हैं। अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि प्रदेश में सभी न्यूज पेपर रिलीज हो रहे हैं। हम रोज ही कुछ न कुछ पाबंदियां घटा रहे हैं। इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि हमारी कोशिश है कि हम परिस्थितियों को देखकर पाबंदियों पर ढील दें।
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गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाए जाने के बाद से धारा 144 को लागू है। जिसके चलते कई जगहों पर स्कूल और कॉलेज के अलावा मोबाइल इंटरनेट, मोबाइल कॉलिंग बंद किए गए हैं। वहीं पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती, उमर अबदुल्ला, सज्जाद लोन सहित कई नेताओं को नजरबंद भी किया गया है।
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