मणिपुर में जारी हिंसा को लेकर मंगलवार को भी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने इस दौरान राज्य सरकार की जमकर खींचाई करते हुए उससे कई बिंदुओं पर जवाब मांगा है। साथ ही कोर्ट ने राज्य पुलिस पर अविश्वास जताते हुए अगले सोमवार को मणिपुर के डीजीपी को कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया है।
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अगली सुनवाई में कोर्ट पुलिस महानिदेशक कोसे घटनाओं, उनमें एफआईआर दर्ज करने, बयान दर्ज करने, गिरफ्तारी आदि पर सीधे सवाल पूछेगी। सीजेआई ने घटना की तारीख, जीरो एफआईआर दर्ज करने की तारीख, नियमित एफआईआर दर्ज करने की तारीख, वह तारीख जिस दिन गवाहों के बयान दर्ज किए गए, धारा 164 के तहत कोर्ट के सामने बयान दर्ज करने की तारीख, मामलों में गिरफ़्तारी की तारीख, एफआईआर में नामजद लोगों की संख्या आदि बिंदुओं पर विस्तृत जवाब मांगा है।
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आज की सुनवाई के दौरान सीजेआई ने एक बार फिर मणिपुर हिंसा मामले में हाईकोर्ट के पूर्व जजों की कमेटी बनाने की बात कही, जो नुकसान, मुआवजे, पुनर्वास, पीड़ितों के बयान आदि का ब्योरा लेगी। चीफ जस्टिस ने कहा कि हम इस कमेटी का दायरा तय करेंगे, जो वहां जाकर राहत और पुनर्वास का जायजा लेगी। सीजेआई ने यह भी कहा कि हम देखेंगे कि सीबीआई को कौन कौन से मामले जांच के लिए सौंपे जाएं। सरकार इस पर सोच कर हमारे पास आए।
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सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि हम इस तथ्य के बारे में स्पष्ट हैं कि 6500 एफआईआर की जांच सीबीआई को सौंपना असंभव है। वहीं, राज्य पुलिस पर सख्त नाराजगी जाहिर करते हुए सीजेआई ने कहा कि इसका जिम्मा नहीं सौंपा जा सकता है। सीजेआई ने कहा कि हमें सीबीआई से जानना होगा कि सीबीआई के बुनियादी ढांचे की सीमा क्या है, साथ ही क्या वह ये जांच कर सकती है।
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सुनवाई के दौरान सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि मणिपुर में मरने वाले सभी लोग हमारे अपने थे। इस पर सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि अभी भी कई शव मोर्चरी में हैं, जिनका कोई भी दावेदार नहीं आया है। इन सारे तथ्यों और दलीलों को सुनने के बाद कोर्ट ने मणिपुर मामले की अगली सुनवाई सोमवार 7 अगस्त को तय कर दी है। इस दौरान राज्य के डीजीपी को हाजिर रहना होगा।
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