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सुप्रीम कोर्ट ने येदियुरप्पा के खिलाफ जांच पर लगाई रोक, हाईकोर्ट ने भ्रष्टाचार मामले में दिया था आदेश

येदियुरप्पा के खिलाफ शिकायत में आरोप लगाया गया है कि येदियुरप्पा और उनके परिवार के सदस्य और दो व्यापारियों सहित अन्य ने 2019-21 में अपने पद का गलत इस्तेमाल किया। अपने कार्यकाल के दौरान आवास बनाने का सरकारी ठेका देने के लिए 12 करोड़ रुपये की रिश्वत ली थी।

फोटोः सोशल मीडिया
फोटोः सोशल मीडिया 

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा के खिलाफ बेंगलुरु विकास प्राधिकरण (बीडीए) से संबंधित भ्रष्टाचार के एक मामले में लोकायुक्त पुलिस द्वारा दर्ज एफआईआर की जांच पर रोक लगा दी। कर्नाटक की विशेष कोर्ट ने इसी महीने लोकायुक्त पुलिस को मामले में जांच का आदेश दिया था।

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येदियुरप्पा का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी और सिद्धार्थ दवे ने जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष दलील दी कि कर्नाटक उच्च न्यायालय ने इस तथ्य की अनदेखी की कि एफआईआर दर्ज करने का आदेश जारी करने से पहले पूर्व स्वीकृति प्राप्त करना अनिवार्य था। शिकायतकर्ता कार्यकर्ता टीजे अब्राहम का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने तर्क दिया कि आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 156 (3) के तहत दर्ज शिकायतों से उत्पन्न मामलों में कानून में नवीनतम संशोधन के साथ पूर्व स्वीकृति की आवश्यकताओं को खत्म कर दिया गया था।

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दलीलें सुनने के बाद, न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली बीजेपी के वरिष्ठ नेता की याचिका पर अब्राहम को नोटिस जारी किया। सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने कहा कि वह इस मामले की जांच करेगी। इस महीने की शुरूआत में एक आदेश में उच्च न्यायालय ने कहा कि मंजूरी की अस्वीकृति की बात येदियुरप्पा के खिलाफ कार्यवाही के रास्ते में नहीं आएगी। उन्होंने हाईकोर्ट के इस आदेश को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया था।

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जुलाई 2021 में एक विशेष अदालत ने अब्राहम की एक शिकायत पर विचार करने से इनकार करते हुए कहा था कि आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 156 (3) के तहत जांच का आदेश भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम की धारा 19 (1) के तहत वैध मंजूरी के बिना नहीं किया जा सकता है। शिकायत में आरोप लगाया गया है कि येदियुरप्पा और उनके परिवार के सदस्य और दो व्यापारियों सहित अन्य ने 2019-21 में अपने पद का गलत इस्तेमाल किया। अपने कार्यकाल के दौरान आवास बनाने का सरकारी ठेका देने के लिए 12 करोड़ रुपये की रिश्वत ली थी।

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