सुप्रीम कोर्ट ने बीएसएफ के बर्खास्त जवान तेज बहादुर की याचिका खारिज कर दी है। पीएम मोदी के खिलाफ वाराणसी से चुनाव लड़ने का ऐलान करने के बाद तेज बहादुर ने नामांकन पत्र दाखिल किया था। निर्वान आयोग ने तेज बहादुर का नामांकन पत्र यह कहते हुए खारिज कर दिया था, कि उन्होंने जरूरी दस्तावेज तय वक्त पर जमा नहीं कराए, जिसके चलते उनकी याचिका खारिज कर दी गई। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि याचिका में कोई ऐसी बात नहीं है, जिसके बिना पर सुनवाई की जाए।
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बर्खास्त बीएसएफ जवान तेज बहादुर की ओर से अधिवक्ता प्रशान्त भूषण ने कहा कि वो चुनाव को चुनौती नही दे रहे हैं, बल्कि उनका कहना बस ये है कि तेज बहादुर का नामांकन गलत और गैरकानूनी तरीके से खारिज हुआ है और उन्हें 19 मई को चुनाव लडने की इजाजत दी जाए।
गौरतलब है कि तेज बहादुर यादव ने 19 मई को होने वाले लोकसभा चुनाव के सातवें चरण में वाराणसी लोकसभा क्षेत्र से पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ निर्दलीय लड़ने का ऐलान किया था। बाद में समाजवादी पार्टी ने वाराणसी से अपना उम्मीदवार बदल कर तेज बहादुर को टिकट दिया था। तेज बहादुर के नामांकन के दौरान चुनाव आयोग ने पाया कि उनके द्वारा दिए दो हलफनामों में उन्होंने बीएसफ से बर्खास्त होने के दो अलग-अलग कारण दिए हैं।
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इसके बाद आयोग ने तेज बहादुर का नामांकन रद्द कर दिया और 24 घंटे के अंदर उन्हें बीएसएफ से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) लेकर जवाब देने को कहा गया था। तेज बहादुर से नोटिस में कहा गया था कि वह बीएसएफ से एनओसी लेकर आएं, जिसमें यह साफ किया गया हो कि उन्हें किस वजह से नौकरी से बर्खास्त किया गया था।
एनओसी पेश न कर पाने पर 1 मई को रिटर्निंग ऑफिसर ने उनके नामांकन को इस आधार पर खारिज कर दिया गया था कि उसे 19 अप्रैल, 2017 को सरकारी सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था। जबकि तेज बहादुर के अनुसार उन्हें अनुशासनहीनता के लिए बर्खास्त किया गया था न कि भ्रष्टाचार के लिए।
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