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गुजरात के बीजेपी विधायक की अयोग्यता पर रोक से सुप्रीम कोर्ट का इंकार, हाईकोर्ट का आदेश कायम

कांग्रेस उम्मीदवार मेरामण गोरिया ने 2017 के विधानसभा चुनाव में द्वारका सीट से पबुभा माणेक की जीत को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। गोरिया ने कहा था कि मामेक ने त्रुटिपूर्ण नामांकन फॉर्म जमा किया था, जिसे हाईकोर्ट ने सही पाते हुए माणेक की जीत को रद्द कर दिया था।

फोटोः सोशल मीडिया
फोटोः सोशल मीडिया 

सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात में बीजेपी के वरिष्ठ नेता पबुभा माणेक को राहत देने से इनकार करते हुए उनकी विधानसभा सदस्यता को अयोग्य करार देने वाले गुजरात हाईकोर्ट के आदेश को स्थगित करने से मना कर दिया है। गुजरात हाईकोर्ट ने पिछले साल द्वारका सीट के इस विधायक को अयोग्य ठहरा दिया था।

प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति एम आर शाह और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना ने माणेक के उस आवेदन को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने हाईकोर्ट के आदेश को स्थगित करने की मांग की थी। माणेक ने हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी और उस पर स्थगन की मांग की थी, क्योंकि वह इस महीने होने जा रहे राज्यसभा चुनाव में उम्मीदवार होना चाहते थे। माणेक के वकील ने पीठ से कहा कि यदि हाईकोर्ट के आदेश को स्थगित नहीं किया गया तो वह राज्यसभा चुनाव नहीं लड़ पाएंगे और इसके साथ ही उन्होंने लंबित याचिका के निपटारे तक आदेश पर स्थगन देने का आग्रह किया।

सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल अप्रैल में निर्देश दिया था कि द्वारका विधानसभा सीट रिक्त न घोषित की जाए और अयोग्यता को चुनौती देने वाली माणेक की याचिका सुनवाई के लिए स्वीकार ली थी। लेकिन शीर्ष अदालत ने हाईकोर्ट के 12 अप्रैल के उस आदेश को स्थगित नहीं किया था, जिसमें त्रुटिपूर्ण नामांकन फार्म जमा करने का दोष सिद्ध होने पर माणेक के निर्वाचन को खारिज कर दिया गया था। साथ ही हाईकोर्ट ने इस सीट पर उपचुनाव कराने के आदेश दे दिए थे।

कांग्रेस उम्मीदवार मेरामण गोरिया ने 2017 के विधानसभा चुनाव में द्वारका सीट से माणेक की जीत को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। गोरिया ने कहा था कि माणेक ने एक त्रुटिपूर्ण नामांकन फॉर्म दाखिल किया था, लिहाजा उनकी जीत को रद्द किया जाना चाहिए। गोरिया ने कहा था कि नामांकन फॉर्म में निर्वाचन क्षेत्र का नाम और नंबर नहीं है, जो कि '82-द्वारका' है। माणेक इस सीट से सात बार विधायक रह चुके हैं।

अपने आदेश में हाईकोर्ट ने कहा था, "जन प्रतिनिधित्व कानून-1951 के प्रावधानों के तहत यह त्रुटि गंभीर प्रकृति की है।" हालांकि, हाईकोर्ट ने गोरिया के उस आवेदन को स्वीकार नहीं किया था कि माणेक की जगह पर उन्हें विजेता घोषित कर दिया जाए, क्योंकि वह चुनाव में दूसरे स्थान पर रहे थे। अब सुप्रीम कोर्ट के ताजा आदेश से स्पष्ट है कि माणेक राज्यसभा चुनाव नहीं लड़ पाएंगे।

Published: 16 Jun 2020, 7:06 PM IST

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Published: 16 Jun 2020, 7:06 PM IST