देश की 10 जांच एजेंसियों को किसी की भी कंप्यूटर के डेटा को देखने की अनुमति देने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में केंद्र सरकार 6 हफ्तों के अंदर अपना जवाब दाखिल करे।
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इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इस मामले में आवश्यकता पड़ने पर सुनवाई करेगा। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस संजय किशन कौल की पीठ के समक्ष वकील मनोहर लाल शर्मा ने अपनी जनहित याचिका का उल्लेख करते हुए इस पर तत्काल सुनवाई का अनुरोध किया था। याचिकाकर्ता ने कहा कि उनकी जनहित याचिका पर तत्काल सुनवाई की जानी चाहिए।
बता दें कि मोदी सरकार ने 10 जांच एजेंसियों और दिल्ली पुलिस को किसी भी कंप्यूटर से किसी भी सूचना को इंटरसेप्ट करने, इनका निरीक्षण करने की इजाजत दी थी। पिछले महीने गृह मंत्रालय ने एक नोटिफिकेशन जारी किया था, जिसमें कहा गया है कि खुफिया ब्यूरो, मादक पदार्थ नियंत्रण ब्यूरो, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी), राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई), सीबीआई, एनआईए, कैबिनेट सचिवालय (रॉ), डायरेक्टरेट ऑफ सिग्नल इंटेलिजेंस और दिल्ली के पुलिस आयुक्त के पास देश में चलने वाले सभी कंप्यूटर की कथित तौर पर निगरानी करने का अधिकार होगा।
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सरकार के इस नोटिफिकेशन पर बीते दिनों संसद में भी जोरदार हंगामा हुआ था। विपक्षी दलों ने इसे आम आदमी के अधिकारों और निजता का उल्लंघन बताया था। विपक्ष के आरोपों पर सरकार की ओर से सदन में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सफाई देते हुए कहा था कि उन्हीं मामलों में यह नियम लागू होगा जिनका संबंध राष्ट्रीय सुरक्षा से होगा। जेटली ने कहा था कि सरकार ने इस मामले में कोई नया नियम नहीं बनाया है।
वहीं कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने इस मामले पर पीएम मोदी को तानाशाह बताते हुए कहा था कि इससे साबित होता है वे खुद को कितना असुरक्षित महसूस करते हैं।
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