देश भर में अवैध रेत खनन के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार, पांच राज्यों और सीबीआई को नोटिस जारी किया है। वहीं सुनवाई के दौरान कोर्ट ने केंद्र सरकार को आदेश दिया है किसी भी क्षेत्र में रेत उत्खनन प्रोजेक्ट को तब तक इनवायरोनमेंटल क्लीयरेंस नहीं दिया जाए जब तक उससे क्षेत्र में होने वाले प्रभाव की सही जानकारी ना मिल जाए।
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जस्टिस एसए बोबड़े की अध्यक्षता वाली पीठ ने पर्यावरण मंत्रालय, खनन मंत्रालय, तमिलनाडु, पंजाब, मध्यप्रदेश, आंध्रप्रदेश, महाराष्ट्र और सीबीआई से जवाब मांगा है। याचिका में देश में नियम विरुद्ध हो रहे रेत उत्खनन पर लगाम लगाने की मांग की गई है। याचिका पर सुनवाई के बाद मामले को गंभीर मानते हुए कोर्ट द्वारा नोटिस जारी किए गए हैं।
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बता दें कि राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण में दायर याचिका में आरोप लगाया गया था कि उत्तर प्रदेश में अवैध रूप से रेत निकाली जा रही है। शुरू में एनजीटी ने यमुना, गंगा, हिंडन, चंबल और गोमती नदियों के किनारों से अवैध रूप से रेत निकालने पर रोक लगाई थी, लेकिन बाद में आदेश में संशोधन करते हुए कहा था कि ऐसी गतिविधियों का असर देश भर में हो रहा है।
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गौरतलब है कि एनजीटी ने 5 अगस्त 2013 को दिए अपने आदेश में कहा था कि अवैध रूप से रेत निकालने से सरकारी खजाने को अरबों रुपये का नुकसान हो रहा है। एनजीटी ने कहा था कि यह आदेश पूरे देश पर लागू होना है। राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण ने सभी राज्यों के खनन अधिकारियों और संबंधित पुलिस अफसरों से कहा है कि वो आदेश का पालन करवाएं।
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