जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाए जाने के बाद घाटी में हिरासत में लिए गए लोगों को छोड़ने की मांग करने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट और जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड को इस मामले को देखने के लिए कहा। कोर्ट ने जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड को निर्देश दिया कि वह इन आरोपों की जांच कर एक हफ्ते में रिपोर्ट सौंपे।
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वहीं, एक अन्य याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को भी सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया है। यह मामला आसिफा मुबीन से जुड़ा है। आसिफा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर अपने पति को छोड़े जाने की मांग की है। याचिका में कहा गया है कि धारा 370 हटाए जाने के बाद उनके पति को पीएसए कानून के तहत हिरासत में रखा गया है। इस मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया और इसम मामले में 2 हफ्ते के भीतर एक विस्तृत जवाब पेश करने के लिए कहा।
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गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाए जाने के बाद घाटी के कई नेताओं को नजरबंद कर दिया गया है। नजरबंद किए गए नेताओं में पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अबदुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती समेत कई नेता शामिल हैं।
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इस बीच खबरों के मुताबिक, घाटी के कम से कम 5 नजरबंद नेताओं ने अपनी रिहाई के लिए एक बॉन्ड पर हस्ताक्षर किए हैं। अपराध प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) धारा 107 द्वारा बनाए गए निरोध में बॉन्ड पर हस्ताक्षर करने वाले राजनेताओं ने हामी भरी है कि वे अपनी रिहाई के बाद किसी भी तरह की रजनीतिक गतिविधियों में शामिल नहीं होंगे। बॉन्ड पर हस्ताक्षर करने वाले नेताओं में हुर्रियत नेता मीरवाइज फारूक, नेशनल कांफ्रेंस के दो पूर्व विधायक, पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी का एक विधायक और पीपल्स कांफ्रेंस पार्टी का एक नेता शामिल हैं।
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