सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मस्जिद विवाद पर बुधवार यानी 14 मार्च को सुनवाई करते हुए अहम फैसला दिया और इस मामले पर आईं तीसरे पक्षों की सभी हस्तक्षेप याचिकाएं खारिज कर दीं। कोर्ट ने अपने इस फैसले से साफ कर दिया कि वह इस मामले में तीसरे पक्ष की याचिकाओं पर सुनवाई नहीं करेगा। कोर्ट सिर्फ मूल पक्षकारों की याचिकाओं पर ही अब सुनवाई करेगा।
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मामले की सुनवाई के दौरान सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील राजीव धवन और सरकार की ओर से कोर्ट में पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भी तीसरे पक्ष की हस्तक्षेप याचिकाओं को इस वक्त सुने जाने का विरोध किया। वकील राजीव धवन ने तीसरे पक्ष की ओर से कोर्ट में याचिका लगाने वाले सुब्रमण्यम स्वामी की ओर इशारा करते हुए कहा कि हस्तक्षेप याचिका दायर कर कोर्ट में पहली कतार में बैठने का यह मतलब नहीं है कि उनको पहले सुना जाए। हस्तक्षेप याचिकाओं का विरोध करने पर कोर्ट में सुब्रमण्यम स्वामी ने नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि यह लोग मेरे कुर्ते और पाजामे पर पहले भी सवाल उठा चुके हैं और अब अगली कतार में बैठने पर सवाल खड़े कर रहे हैं।
मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह भी साफ किया कि वह किसी भी पार्टी को समझौते के लिए बाध्य नहीं कर सकता। कोर्ट ने कहा कि यह दोनों पार्टियों के बीच का मामला है और किसी को भी समझौते के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता। इससे पहले कोर्ट ने 14 मार्च से मामले की लगातार सुनवाई करने की बात कही थी। 8 मार्च को सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार के सामने हुई बैठक में सभी पक्षों ने कहा था कि कागजी कार्रवाई और दस्तावेजों के अनुवाद का काम पूरा हो चुका है। इसके बाद आज यानी बुधवार से मामले की सुनवाई शुरू हुई है।
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