सुप्रीम कोर्ट ने सुपरटेक की एमराल्ड परियोजना के तहत नोएडा में बने 40 मंजिला ट्विन टॉवर को गिराने की समय सीमा बढ़ाते हुए 28 अगस्त तक का समय दी है। शीर्ष अदालत ने दोनों टावर को ढहाने में आने वाली किसी भी परिस्थितिजन्य या तकनीकी समस्या की संभावना को देखते हुए एक हफ्ते का अतिरिक्त समय दिया है। ताकि ढहाने की तैयारियों में जुटी एजेंसियों को समस्या दूर करने का समय मिल सके।
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सुप्रीम कोर्ट ने आज ट्विन टावर गिराने को लेकर पेश स्टेटस रिपोर्ट पर सुनवाई करते हुए यह मोहलत दी। पहले की योजना के मुताबिक नोएडा के सेक्टर-93 ए में स्थित ट्विन टावर में दो अगस्त से विस्फोटक लगाने का काम शुरू कर 18 अगस्त तक इसे पूरा कर लेना था और दो दिन के निरीक्षण के बाद 21 अगस्त को अंतिम ब्लास्ट की तारीख तय की गई थी, लेकिन अब तक इसके लिए पलवल से विस्फोटक नहीं लाया जा सका है।
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ट्विन टावर को गिराने में लगी एडिफिस इंजीनियरिंग कंपनी ने प्राधिकरण को लिखे पत्र में साफ कहा है कि अगर 28 अगस्त तक अंतिम ब्लास्ट नहीं किया गया तो फिर उसकी सहयोग कंपनी जेट डिमोलिशन के पास नवंबर से पहले इसके लिए समय नहीं है। साथ ही एजेंसी ने चेतावनी जारी करते हुए कहा कि अगर अंतिम ब्लास्ट जल्दी नहीं होता है तो इस इमारत से खतरा हो सकता है, क्योंकि यह काफी कमजोर हो गई है और किसी ओर भी गिर सकती है। इसके अलावा अंतिम ब्लास्ट के लिए किए गए इंतेजाम भी खराब होंगे।
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गौरतलब है कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने इस महीने की शुरुआत में एक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) की वह याचिका खारिज कर दी थी, जिसमें नोएडा में नियमों का उल्लंघन कर बनाए गए ट्विन टावर को गिराने की जगह वैकल्पिक समाधान तलाशने का निर्देश देने का आग्रह किया गया था। साथ ही कोर्ट ने एनजीओ 'सेंटर फॉर लॉ एंड गुड गवर्नेंस' पर 5 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था और निर्देश दिया था कि राशि को कोर्ट रजिस्ट्री में जमा किया जाए, ताकि कोरोना से पीड़ित हुए वकीलों के परिजनों के लिए इसका इस्तेमाल किया जा सके।
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