सुप्रीम कोर्ट ने आज एक अहम फैसले में सीबीएसई और आईसीएसई बोर्ड की परीक्षाओं को रद्द करने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया। साथ ही कोर्ट ने छात्रों के परीक्षा पैटर्न का मूल्यांकन करने के लिए बोर्ड द्वारा लाई गई मूल्यांकन योजना को आगे बढ़ाने की भी अनुमति दे दी। इसी के साथ अब सीबीएसई और आईसीएसई बोर्ड परीक्षाओं का मूल्यांकन नीति के आधार पर रिजल्ट का रास्ता साफ हो गया है।
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मंगलवार को मामले पर सुनवाई करते हुए जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस दिनेश माहेश्वरी की पीठ ने सीबीएसई और आईसीएसई की 12वीं कक्षा के रिजल्ट के लिए मूल्यांकन योजना को सही और तार्किक करार दिया। कोर्ट ने छात्रों को मूल्यांकन स्कीम या परीक्षा में बैठने में से किसी एक विकल्प को चुनने की मांग को भी ठुकरा दिया। साथ ही कोर्ट ने 12वीं की फिजिकल परीक्षा जुलाई में आयोजित कराने की मांग को भी खारिज कर दिया।
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जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस दिनेश माहेश्वरी की पीठ ने छात्रों द्वारा सीबीएसई और आईसीएसई बोर्ड की मूल्यांकन योजना में स्कूलों द्वारा धांधली की आशंका के आरोपों पर भी किसी तरह का आदेश पारित करने से इनकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस तरह की आशंकाओं के समाधान के लिए बाकायदा एक रिजल्ट कमेटी होगी, जो इस पर गौर करेगी। इसके सदस्य केवल स्कूल से ही नहीं बाहर से भी होंगे।
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बता दें कि सुप्रीम कोर्ट बोर्ड परीक्षाएं आयोजित करने की मांग याचिका के साथ ही 1152 छात्रों द्वारा दायर एक संयुक्त याचिका पर भी सुनवाई कर रही थी, जिसमें सीबीएसई कक्षा 12वीं की कंपार्टमेंट परीक्षा, राज्य बोर्ड की 12वीं की परीक्षा और अन्य बोर्ड परीक्षाओं को रद्द करने के फैसले को चुनौती दी गई थी। एक दिन पहले 21 जून को सुप्रीम कोर्ट में बोर्ड परीक्षाओं और मूल्यांकन संबंधी याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान कुछ छात्रों ने सीबीएसई और सीआईएससीई के मूल्यांकन फॉर्मूले पर सवाल उठाए थे।
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