कोरोना के कारण हुई मौतों पर मुआवजे को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र में बैठी मोदी सरकार को निर्देश दिया है कि वह कोरोना के कारण मरने वालों के परिवारों को अनुग्रह राशि या मुआवजा देने के लिए दिशा-निर्देश तैयार करे। हालांकि, मुआवजा कितना होना चाहिए, ये सरकार को खुद तय करना होगा।
दरअसल, कोर्ट ने केंद्र की उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें कहा गया था कि कोरोना से जान गंवाने वाले सभी लोगों के परिवारों को ऐसा कोई मुआवजा नहीं दिया जा सकता है, क्योंकि इससे आपदा राहत कोष खाली हो जाएगा। कोर्ट ने कहा कि किसी भी देश के पास असीमित संसाधन नहीं हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि डिजास्टर मैनेजमेंट एक्टट की धारा 12 के तहत दिशानिर्देशों में मुआवजा न देकर प्राधिकरण अपना कर्तव्यों का निर्वहन करने में विफल रहा है। कोर्ट ने कहा सरकार का प्रबन्ध कई परिस्थितियों, तथ्यों और कानूनों पर आधारित है। हमें नहीं लगता कि किसी विशेष राशि का भुगतान करने के लिए सरकार को निर्देशित करना उचित है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह सरकार की तरफ से तय किया जाना है. सरकार को प्राथमिकताओं को तय करना होगा। कोर्ट ने कहा कि राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को कोविड पीड़ितों को मुआवजा समेत राहत के न्यूनतम मानक प्रदान करना वैधानिक रूप से अनिवार्य है।
कोर्ट ने ये भी कहा कि हम मुआवजा तय नहीं कर रहे, लेकिन NDMA छह हफ्ते के भीतर प्रत्येक कोविड पीड़ित को भुगतान की जाने वाली अनुग्रह राशि निर्धारित करने का दिशानिर्देश जारी करे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा भारत ने कोविड महामारी के कारण लगभग 3.9 लाख मौतें हुई हैं, जिसे आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत आपदा घोषित किया गया है।
इसी के साथ, सुप्रीम कोर्ट ने ये भी आदेश दिया है कि डेथ सर्टिफिकेट पर मौत की वजह ‘कोरोना से मौत का दिन’ लिखना होगा. सरकार छह महीने में इस पर गाइडलाइंस बनाएगी। वहीं, जिन लोगो को डेथ सर्टिफिकेट मिल चुका है और उन्हें उस पर आपत्ति है, तो सरकार उस पर दोबारा विचार करेगी। इसके लिए सरकार ऐसे लोगों को शिकायत का विकल्प देगी, ताकि डेथ सर्टिफिकेट फिर से जारी हो सके।
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