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चंदा मामा जाग गए! साउथ पोल पर पहुंचने लगी सूरज की रोशनी, आज जागेंगे विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर?

स्लीप मोड पर डाले गए विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर से आज इसरो संपर्क करने की कोशिश करेगा। इसरो के अनुसार, लैंडर और रोवर के सोलर पैनल पर सूरज की रोशनी पड़ते ही यह काम करना शुरू कर सकते हैं।

फोटो: सोशल मीडिया
फोटो: सोशल मीडिया 

चंद्रयान मिशन पर गए विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर के लिए आज अहम दिन है। 14 दिनों की रात के बाद चांद पर आज सुबह हो गई है। मतलब यह कि चांद पर सूरज की रोशनी पहुंचने लगी है। से में विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर को जगाने का समय आ गया है। अगले 14 दिनों तक चांद पर दिन रहेगा।

स्लीप मोड पर डाले गए विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर से आज इसरो संपर्क करने की कोशिश करेगा। इसरो के अनुसार, लैंडर और रोवर के सोलर पैनल पर सूरज की रोशनी पड़ते ही यह काम करना शुरू कर सकते हैं।

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सवाल यह भी है कि क्या विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर फिर से जाग पाएंगे? यूरोपियन स्पेस एजेंसी के कोरोउ स्पेस स्टेशन से चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम को लगातार संदेश भेजा जा रहा है, लेकिन लैंडर की तरफ से जो रेसपॉन्स आ रहा है, वो बेहद कमजोर है। उसके पास से जिस तरह की ताकतवर रेडियो फ्रिक्वेंसी निकलनी चाहिए, वह नहीं निकल रही है। इस बात का दावा एमेच्योर एस्ट्रोनॉमर स्कॉट टाइली ने किया है।

स्कॉट ने एक ट्वीट में लिखा, बुरी खबर, चंद्रयान-3 के चैनल पर 2268 मेगाहर्ट्ज का उत्सर्जन हो रहा है। यह एक कमजोर बैंड है। यानी चंद्रयान-3 के लैंडर से अभी तक किसी तरह का मजबूत सिग्नल नहीं मिला है। स्कॉट ने कई ट्वीट्स किए हैं।

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रिपोर्ट में कहा गया है कि विक्रम लैंडर लगातार ऑन-ऑफ सिग्नल भेज रहा है। चांद से आ रहे सिग्नल कभी स्थिर हैं। कभी उछल रहे हैं। कभी एकदम सिग्नल स्थिर है। फिलहाल यूरोपियन स्पेस एजेंसी और इसरो दोनों ने ही इस बात की पुष्टि नहीं की है कि चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर जाग गए हैं या नहीं।

खबरों के मुताबिक, दोपहर तक इस बात की पुष्टि करेगा कि विक्रम लैंडर शिव शक्ति प्वाइंट पर जहां है, वहां सूरज की रोशनी पहुंच चुकी है या नहीं। वह इस बात की भी जानकारी देगा कि विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर की क्या स्थिति है।

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इससे पहले 4 सितंबर को इसरो ने एक बयान में कहा था, "विक्रम लैंडर को आज भारतीय समयानुसार लगभग 8 बजे स्लीप मोड में सेट किया गया है। इससे पहले चैस्टे, रंभा-एलपी और आईएलएसए पेलोड द्वारा इन-सीटू प्रयोग नए स्थान पर किए गए। एकत्र किया गया डेटा पृथ्वी पर प्राप्त हो रहा है। पेलोड अब बंद कर दिए गए हैं और लैंडर रिसीवर्स को चालू रखा गया है।"

इसरो ने कहा था, "सौर ऊर्जा खत्म होने और बैटरी डिस्‍चार्ज होने पर लैंडर विक्रम चंद्रमा रोवर प्रज्ञान के बगल में सो जाएगा। 22 सितंबर, 2023 के आसपास उनके जागने की उम्मीद है।"

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