केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री मनसुख मंडाविया ने शुक्रवार को लोकसभा में कहा कि नए कोविड-19 वैरिएंट ओमिक्रॉन पर टीकों की प्रभावशीलता पर अध्ययन चल रहा है और एक बार जब विशेषज्ञ अपनी राय दे देंगे, तब बूस्टर डोज पर फैसला लिया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि देश को अपने वैज्ञानिकों पर भरोसा है और उचित शोध के बाद उनके सुझावों के आधार पर बूस्टर नीति आगे बढ़ेगी।
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निचले सदन (लोकसभा) में प्रश्नकाल के दौरान एक सवाल के जवाब में उन्होंने यह भी कहा कि ओमिक्रॉन 1 नवंबर को सामने आया और 24 नवंबर को दक्षिण अफ्रीका में इसकी सूचना दी गई। नया वैरिएंट अब तक 59 देशों में पाया गया है और हर देश मौजूदा टीकों की प्रभावशीलता का अध्ययन कर रहा है।
मंडाविया ने सदन को सूचित किया, "हमने तुरंत एक अध्ययन शुरू किया है और अब तक भारत में 36 प्रयोगशालाएं हैं, जहां जीनोम सीक्वेंसिंग की जा रही है। ये प्रयोगशालाएं हर दिन 30,000 जीनोम सीक्वेंसिंग कर सकती हैं और साथ ही हम क्षमता में वृद्धि के लिए निजी प्रयोगशालाओं के साथ गठजोड़ करने की कोशिश कर रहे हैं।"
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रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरएसपी) के सांसद एन. के. प्रेमचंद्रन के सवाल के जवाब में मंत्री ने आगे कहा कि हम सभी चाहते हैं कि देश 100 प्रतिशत टीकाकरण हासिल करे और हम सभी (सांसदों) को टीकाकरण के बारे में लोगों को जागरूक करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि अन्य देशों से टीकाकरण दरों की तुलना की जाए तो भारत ने 'सर्वश्रेष्ठ' किया है क्योंकि हमारे देश ने पहली खुराक का 86 प्रतिशत पूरा कर लिया है। उन्होंने सभी हितधारकों से जल्द से जल्द टीकाकरण अभियान को तेज करने में अपनी भूमिका अदा करने का भी अनुरोध किया।
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बीएसपी सांसद राम शिरोमणि वर्मा द्वारा बच्चों पर ओमिक्रॉन के प्रभाव के बारे में पूछे गए एक सवाल का जवाब देते हुए स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि ओमिक्रॉन पर अध्ययन चल रहा है और एक बार विशेषज्ञों की राय आने के बाद सरकार 18 साल से कम उम्र के बच्चों के टीकाकरण पर फैसला करेगी। मंडाविया ने सदन को बताया कि संदिग्ध ओमिक्रॉन के 23 मामले निगरानी में हैं और विशेषज्ञ टीमें प्रतिदिन प्रतिक्रिया और उपचार पर बातचीत कर रही हैं और वे अन्य देशों के अस्पताल में भर्ती होने की स्थिति का भी अध्ययन कर रहे हैं, जहां यह नया वैरिएंट बड़ी संख्या में पाया गया है।
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केरल की कोविड की स्थिति पर प्रेमचंद्रन के सवाल का जवाब देते हुए मंत्री ने यह भी कहा कि जब 30,000 से अधिक मामले सामने आए थे, तब उन्होंने व्यक्तिगत रूप से राज्य का दौरा किया था और राज्य में एक विशेषज्ञ टीम भी भेजी थी और कई अस्पतालों का दौरा किया था।साथ ही राज्य सरकार को विभिन्न रोकथाम करने का सुझाव दिया था। उन्होंने आगे कहा कि इसलिए, स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा समय-समय पर जारी स्वास्थ्य प्रोटोकॉल और दिशानिर्देशों का पालन किया जाना चाहिए, ताकि कम दर पर ही कोविड-19 के मामलों को नियंत्रित किया जा सके।
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कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी के एक सवाल का जवाब देते हुए, जो यह जानना चाहते थे कि क्या कोविड-19 टीकाकरण के दुष्प्रभावों पर कोई अध्ययन किया गया है, मंत्री ने कहा कि अभी तक ऐसा कोई अध्ययन नहीं किया गया है। उन्होंने यह भी बताया कि "बड़ी मुश्किलों के साथ, लोग टीके की झिझक से बाहर आ गए हैं, इसलिए हम कुछ असाधारण मामलों को छोड़कर अभी तक एक अध्ययन नहीं करना चाहते हैं। हम चाहते हैं कि सभी पात्र आबादी का टीकाकरण जल्द से जल्द दोनों खुराक के साथ हो जाए।"
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