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मौसम में बदलाव भी नहीं तोड़ पाया छात्रों का हौसला, धरने पर ही पढ़-पढ़ा रहे जीबी पंत इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्र

जीबी पंत इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्रों द्वारा मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के घर के पास दिया जा रहा धरना छठे दिन भी जारी है। ये छात्र सस्ती शिक्षा और जीबी पंत इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला बंद किए जाने के खिलाफ विकास भवन के बाहर सोमवार से ही प्रदर्शन कर रहे हैं।

फोटो: सोशल मीडिया
फोटो: सोशल मीडिया 

जीबी पंत इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्रों द्वारा मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के घर के पास दिया जा रहा धरना शनिवार को छठे दिन भी जारी रही। मौसम में बदलाव और त्योहार करीब आने पर भी छात्र धरने पर डटे हुए हैं। सस्ती शिक्षा उपलब्ध कराने की मांग कर रहे छात्रों ने सोमवार से प्रदर्शन की शुरुआत की है। ये छात्र सस्ती शिक्षा और जीबी पंत इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला बंद किए जाने के खिलाफ विकास भवन के बाहर सोमवार से ही प्रदर्शन कर रहे हैं।

दिल्ली के उपमुख्यमंत्री व शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया द्वारा कॉलेज की सीटों के संबंध में बोले गए झूठ को लेकर छात्रों में भारी रोष है। जहां कॉलेज में प्रथम वर्ष के छात्रों के लिए 210 से अधिक सीटें हैं, वहीं शिक्षा मंत्री ने टोके जाने के बाद भी कहा था कि कॉलेज में प्रथम वर्ष के छात्रों के लिए 120 सीटें ही हैं।"

शनिवार को जीबी पंत इंजीनियरिंग कॉलेज के एकमात्र दिव्यांग छात्र ने भी धरनास्थल पर पहुंचकर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। इसके साथ ही यहां चतुर्थ वर्ष के छात्रों द्वारा अपने जूनियर छात्रों के लिए धरनास्थल पर ही पाठशाला लगाई गई। इस दौरान विभिन्न विषयों से संबंधित उनके प्रश्नों एवं समस्याओं का समाधान किया गया। छात्र धरने के बीच भी नियमित रूप से अपनी पढ़ाई कर रहे हैं। शुक्रवार को 'सद्बुद्धि उपवास' पर बैठे छात्रों ने अपना 24 घंटे का उपवास पूरा किया। शनिवार को दो नए छात्र उपवास पर बैठे। उपवास पर अभाविप के दिल्ली विश्वविद्यालय के इकाई मंत्री रोहित शर्मा और जीबी पंत इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्र अमर बैठे हैं।

प्रदर्शन कर रहे छात्रों का कहा है कि अपने हक के लिए छात्रों की इस लड़ाई में उनका जोश और उनकी प्रतिबद्धता देखते ही बन रही है। शुक्रवार को शिक्षा मंत्री का बयान जिसमें उन्होंने इन छात्रों को अफवाह फैलाने वाला बताया वो अत्यंत निंदनीय है। छात्र धरनास्थल पर भी अपनी पढ़ाई में जुटे हैं। हमारी लड़ाई रोज नए रचनात्मक तरीकों से लड़ी जा रही है, यह हमारी मांगों के माने जाने तक जारी रहेगी।

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