हरियाणा विधानसभा का नजारा पहले सत्र से ही पूरी तरह इस बार बदला हुआ दिखा। इस बार कमजोर सरकार का सामना मजबूत विपक्ष से है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और नेता विरोधी दल चुने गए पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंद्र सिंह हुड्डा की कुर्सी विधान सभा में इस बार आमने-सामने है। बीजेपी के 39 विधायकों के सामने लगभग बराबर की ताकत के साथ कांग्रेस के 31 विधायक ठीक सामने हैं। विधानसभा के पहले ही सत्र में विपक्ष का सरकार पर हमला आने वाले दिनों में बीजेपी की अगुवाई वाली सरकार के लिए चुनौतियों की झांकी पेश कर गया।
4 से 6 नवंबर तक चले विधानसभा के पहलेसत्र में बीजेपी सरकार की मुश्किलों की शुरुआत होती दिखी। भले ही स्पीकर का चुनाव तो हो गया, लेकिन विपक्ष ने संकेत दे दिया कि वह सरकार को खुली छूट नहीं देने वाला है। स्पीकर चुने जाने के बाद बोलने के लिए खड़े हुए मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की विपक्ष से बेहतर भूमिका की उम्मीद पर नेता विरोधी दल भूपिंद्र सिंह हुड्डा का जवाब सब कुछ बयां कर गया।
हुड्डा ने कहा कि ‘हम विरोध के लिए विरोध नहीं करेंगे, लेकिन मुद्दों पर हम तथ्यात्मक विरोध से पीछे नहीं हटेंगे।‘ उन्होंने नवनिर्वाचित स्पीकर को भी ताकीद कर दी कि ‘पहले तो आप बीजेपी की ओर से खूब बोलते थे अब सबको एक आंख से देखना होगा।‘ इनेलो विधायक अभय चौटाला ने भी स्पीकर से कहा कि ‘अब आपको अपनी भूमिका बदलनी होगी।‘
सत्र के दूसरे दिन की शुरुआत राज्यपाल के अभिभाषण से हुई। महामहिम का अभिभाषण सरकार का विजन माना जाता है। इसमें भी पुरानी बातों का दोहराव ज्यादा नजर आया। पूरे अभिभाषण में कुछ भी नयापन नहीं था, जिससे सरकार बैकफुट पर नजर आई। पूर्व स्पीकर व दूसरी बार विधायक निर्वावित हुए कंवर पाल गुज्जर के राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा की शुरुआत करते ही विपक्ष के हमले ने इस बार कमजोर सरकार की तस्दीक कर दी।
कंवर पाल ने जैसे ही यह कहना शुरू किया कि पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा के बाद यह दूसरी सरकार है, जो हरियाणा में रिपीट हुई है। विपक्षी बेंच से शंकुतला खटक, गीता भुक्कल व जगबीर मलिक समेत कई विधायकों ने इसे जोड़तोड़ की सरकार बताते हुए उनके दावे पर सवाल उठाए।
इतना ही नहीं बीजेपी की सरकार में साझीदार जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) के विधायक ईश्वर सिंह तक ने सरकार के बड़बोलेपन पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि ‘पहले 70 और 80 के दशक में सदन में जो बोला जाता था, वह वचन होता था, लेकिन अब ऐसा नहीं है।‘
राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा में भाग लेते हुए नेता विरोधी दल भूपिंद्र सिंह हुड्डा ने बीजेपी और जेजेपी पर व्यंग्य करते हुए कहा कहा कि ‘चुनाव से पहले कोई कहता था 75 पार और कोई कहता था यमुना पार। पर अब दोनों बन गए हैं यार।‘ हुड्डा ने कहा कि बीजेपी ने पहले 154 वादे किए थे, अब 260 वादे कर दिए। हालत यह है कि किसान नौ पैसे किलो आलू बेच रहा है। प्रदेश में बेरोजगारी 28 फीसदी है। प्रदूषण के नाम पर किसान को दोष दिया जा रहा है, जबकि समाधान की जिम्मेदारी सरकार की है।
प्रदूषण का मुद्दा उठाते हुए हुड्डा ने सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि वह पराली के निपटान के लिए डि-कंपोजर पर 50 फीसदी सब्सिडी देने की बात कर रही है, जबकि डि-कंपोजर की बोतल मात्र 20 रुपये की आती है। सरकार 10 रुपये की छूट देकर वाहवाही लूट रही है। वहीं इनेलों के अभय चौटाला ने सवाल पूछा कि ‘अब जेजेपी के 11 हजार बेरोजगारी भत्ता देने का वादा कब पूरा होगा।‘
विपक्ष के हमलों से घिरी सरकार के विधायकों का बड़बोलापन पहले विधान सभा सत्र में ही जाहिर हो गया। चर्चा का जवाब देने के लिए खड़े हुए मुख्यमंत्री के भी हर दावे पर विपक्ष ने सवाल सत्र का समापन जाट आरक्षण आंदोलन को लेकर हंगामे से हुआ। इस सबसे एक बात साबित हो गई कि प्रदेश में बनी गठबंधन सरकार को इस बार मजबूत विपक्ष बचकर निकल जाने का कोई रास्ता नहीं देने वाला है।
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