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खुफिया कैमरे में कैद हुई जहांगीरपुरी दंगे की सच्चाई! शोभायात्रा में शामिल लोगों ने माना - मस्जिद के सामने लगाए नारे

दिल्ली के जहांगीरपुरी इलाके में जिस शोभायात्रा के दौरान शनिवार को हिंसा हुई उस यात्रा में शामिल लोगों ने माना कि जुलूस में शामिल लोगों ने मस्जिद के सामने रुककर नारे लगाए थे। यात्रा में शामिल शख्स ने कहा कि वे 'गांधी के मानने वाले नहीं हैं...'

फोटो : विपिन
फोटो : विपिन 

"हम सभी जुलूस की वीडियो बना रहे थे। हमने एक दूसरे को गले लगाया, हाथ मिलाए...जुलूस के लिए खुशी-खुसी रास्ता दिया...तब तक कोई दिक्कत नहीं थी। तभी कुछ लोग मस्जिद के सामने पहुंचे और कहा कि डीजे बजाया जाएगा। उन्होंने मस्जिद के सामने झंडा लहराने की भी कोशिश की। फिर यह सब (हिंसा) शुरू हुआ। देखते ही देखते हर तरफ अफरा-तफरी मच गई।'' यह कहना है कि जहांगीरपुरी में शनिवार को हुई हिंसा के चश्मदीद राजा का।

न्यूज चैनल 'आज तक' ने जहांगीरपूरी हिंसा की सच्चाई का पता लगाने के लिए एक स्टिंग ऑपरेशन किया है और काफी कुछ अपने खुफिया कैमरों में कैद किया है, जिससे इस हिंसा के पीछे की असली वजह शायद सामने आ सकती है और दूध का दूध और पानी का पानी हो सकता है।

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फोटो: सोशल मीडिया

आजतक के रिपोर्ट ने राजा से और जानकारी ली। इस पर राजा ने कहा, ‘हर साल पुलिस की मौजूदगी में जुलूस निकाला जाता था, लेकिन कभी ऐसी दिक्कत नहीं आई। लेकिन इस बार शोभायात्रा से 4-5 दिन पहले से ही हिंदू-मुस्लिम तनाव पैदा करने की कोशिश की जा रही थी।‘ राजा ने शोभायात्रा निकालने वालों पर भड़काने का आरोप लगाते हुए कहा कि “जुलूस में शामिल लोग अचानक आ गए और डीजे बजाने लगे। उन्हें रोका तो जुलूस में शामिल लोगों ने पथराव शुरू कर दिया। फिर हंगामा शुरू हो गया।“ राजा ने रिपोर्टर से ही सवाल कर दिया, “अगर आपके साथ बदसुलूकी होगी तो आप क्या करेंगे? हमारी तरफ से भी लोग जमा हो गए, अफरा-तफरी मच गई और फिर पुलिस आ गई।“ राजा ने एक वीडियो भी दिखाया जिसमें जुलूस में कुछ लोग तलवार और हथियार लिए नजर आ रहे थे। राजा कहते हैं कि “ये ऐसे हथियार हैं जैसे कि हम साउथ इंडियन फिल्मों में देखते हैं।“

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फोटो : विपिन

दिल्ली पुलिस ने जहांगीरपुरी हिंसा की जांच के लिए एक दर्जन टीमें तैनात की हैं, लेकिन यह अभी तक पता नहीं चल पाया है कि आखिर हिंसा की शुरुआत कैसे हुई। हिंदू और मुस्लिम दोनों पक्ष अपनी-अपनी दलीलें पेश कर रहे हैं, लेकिन "पूरी सच्चाई" का पर्दा अभी तक नहीं उठा है। यह पता लगाने के लिए आजतक ने खुफिया कैमरे के साथ दोनों पक्षों के लोगों से बात की।

हनुमान जयंती शोभायात्रा में शामिल एक व्यक्ति ने रिपोर्टर के सामने स्वीकार किया कि ‘एक समूह मस्जिद के सामने रुका था और यहां जय श्री राम के नारे लगे थे।’ करण नाम के एक शख्स ने बिना किसी हिचकिचाहट के कहा कि ‘अगर हिंदू मस्जिद के सामने नारे लगाते हैं तो किसी को बुरा नहीं लगना चाहिए।’ उन्होंने यह भी कहा, "चलो हम मस्जिद के सामने रुके तो यहां जय श्री राम कहने पर किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए।‘

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फोटो : विपिन

गौरतलब है कि हिंसा के बाद जो तस्वीरें सामने आई हैं उनमें पूरी मस्जिद में भगवा झंडे भी नजर आ रहे हैं। कुछ झंडे मस्जिद परिसर के अंदर भी हैं। एक पक्ष ने दावा किया कि उन्हें भड़काने के लिए मस्जिद में भगवा झंडे फहराए गए। इसका एहसास तब भी हुआ जब 'आज तक' के रिपोर्टर ने कुछ लोगों से बात की। खुफिया कैमरे पर बातचीत के दौरान करण ने कहा कि ‘उन्हें (मस्जिद के सामने) जय श्री राम का नारा लगाते हुए कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए थी, फिर पत्थर क्यों फेंके गए? जब करण से पूछा गया कि जुलूस में शामिल लोगों ने भी क्या पत्थर फेंके? तो उसने कहा, "हमने तो जवाबी कार्यवाही में पत्थर फेंके।‘ करण ने कहा, "हम क्यों नहीं फेंक सकते? हम गांधी को मानने वाले नहीं हैं कि पिटने पर दूसरा गाल सामने कर दें।‘

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