एडीआर रिपोर्ट के मुताबिक, इनमें से ज्यादातर बॉन्ड मुंबई में बेचे गए हैं, जिनकी कीमत 1,880 करोड़ रुपए है। इसके बाद कोलकाता (1,440 करोड़ रुपए), दिल्ली (919 करोड़ रुपए) और हैदराबाद (838 करोड़ रुपए) का नंबर है।
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एडीआर एक निष्पक्ष और गैर सरकारी संस्था है जो चुनावी और राजनीतिक सुधारों के लिए काम करती है। गौरतलब है कि मौजूदा सरकार ने पिछले साल पहली मार्च को इलेक्टोरल बॉन्ड लांच किए थे। सरकार ने इन बॉन्ड को राजनीतिक दलों को मिलने वाले नकद चंदे के विकल्प के तौर पर पेश किया था। तर्क था कि इससे चुनावी फंडिंग (राजनीतिक दलों को मिलने वाले चंदे) में पारदर्शिता आएगा और चुनावों में कालेधन के इस्तेमाल को रोका जा सकेगा। सरकार ने इस साल जनवरी में इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को इस साल जनवरी में अधिसूचित किया था।
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इस योजना के तहत कोई भी एक हजार रुपए से लेकर एक करोड़ रुपए तक के बॉन्ड खरीद सकता है। इन बॉन्ड की बिक्री हर तिमाही में दस दिन के लिए की जाती है, जबकि लोकसभा चुनावों के लिए इसे एक महीने के लिए खोला जाता है। इसके अलावा इन बॉन्ड की बिक्री पर सरकार अपनी तरफ से कोई भी समय सीमा तय कर सकती है। खरीदने के बाद इन बॉन्ड की अवधि 15 दिन की होती है।
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लोकसभा या विधानसभा चुनावों में कम से कम एक फीसदी वोट हासिल करने वाले पंजीकृत राजनीतिक दलों को इन बॉन्ड के जरिए चंदा दिया जा सकता है। प्रावधानों के मुताबिक इन बॉन्ड को भारत का कोई भी नागरिक या कोई भी पंजीकृत संस्था जो भारत में स्थापित हो, खरीद सकती है। इन बॉंड को बेचने का एकाधिकार सिर्फ स्टेट बैंक के पास है। स्टेट बैंक ही इन बॉन्ड को अपनी 29 अधिकृत शाखाओं के जरिए कैश कर सकती है। इनमें से कुछ शाखाएं दिल्ली, कोलकाता, मुंबई, गांधीनगर, चेन्नई, चंडीगढ, रांची और बेंग्लुरु में हैं।
महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनाव से पहले सरकार ने स्टेट बैंक को इलेक्टोरल बॉन्ड की 12 वीं किस्त जारी करने को अधिकृत किया था, ताकि राजनीतिक दलों को चंदा मिल सके। इसके तहत बैंक ने एक से 10 अक्टूबर के बीच इलेक्टोरल बॉन्ड की बिक्री की थी।
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