एसएससी (कर्मचारी चयन आयोग) ने छात्रों के आरोपों की जांच के लिए सीबीआई जांच की सिफारिश तो कर दी है, लेकिन उसने जांच का जो दायरा तय किया है, उसे देखकर स्पष्ट है कि आयोग को छात्रों का आंदोलन नागवार गुजरा है। एसएससी ने चौतरफा दबाव में सीबीआई जांच कराने का फैसला तो ले लिया, लेकिन इसमें भी वह अपने हिसाब से जांच चाहता है।
दरअसल, परीक्षा में धांधली को लेकर छात्रों के आरोपों की सीबीआई जांच के बारे में जानकारी देते हुए एसएससी के चेयरमैन अशीम खुराना ने एक पत्र जारी किया है, जिसे पढ़कर साफ पता चलता है कि आयोग सिर्फ जांच ही अपने अनुसार नहीं चाहता, बल्कि वह बदले की भावना से उनलोगों को निशाना बनाना चाहता है, जिन्होंने इस आंदोलन में छात्रों का साथ दिया या उनके साथ खड़े रहे।
आयोग के अध्यक्ष अशीम खुराना ने 6 मार्च को जारी अपने पत्र में कहा है, “भारत सरकार में ग्रुप बी और ग्रुप सी पदों पर भर्ती में योग्य उम्मीदवारों के चयन में ईमानदारी के उच्च मानदंडों के पालन को लेकर आयोग लगातार छात्रों को आश्वस्त करता रहा है। यह सुनिश्चित करने के लिए आयोग में कार्यप्रणाली को कुशल और पारदर्शी बनाया गया है। हालांकि, इसके बावजूद कुछ निहित स्वार्थ के लोगों द्वारा परीक्षा प्रणाली को बाधित करने और आयोग को बदनाम करने के संगठित प्रयास किए जा रहे हैं।”
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पत्र में खुराना ने आगे लिखा है कि आयोग के लिए यह संतुष्टी की बात है कि आंदोलनकारी छात्रों के आरोपों की जांच के लिए आयोग की सीबीआई जांच की सिफारिश को भारत सरकार द्वारा स्वीकार कर लिया गया है। आयोग के चेयरमैन ने आगे लिखा है, “जांच के व्यापक दायरे में उन बाहरी एजेंसियों का भी पर्दाफाश करना शामिल है, जिन्होंने हजारों वास्तविक छात्रों के भविष्य को दांव पर लगाते हुए सक्रिय रूप से इस आंदोलन को भड़काया और इसे बढ़ावा दिया।”
आयोग के अध्यक्ष अशीम खुराना की यह भाषा साफ बताती है कि उन्हें छात्रों का विरोध करना नागवार गुजरा है और वह एसएससी की तैयारी कराने वाले उन शिक्षकों से भी खासा नाराज हैं, जो छात्रों के आंदोलन का समर्थन कर रहे हैं।
गौरतलब है कि दिल्ली के सीजीओ कॉम्प्लेक्स स्थित एसएससी मुख्यालय पर छात्रों के आंदोलन में उनका साथ देने के लिए कई शिक्षक भी शामिल हुए थे। यहां तक कि छात्रों के आदोलन को दबाने के लिए जब दिल्ली पुलिस ने प्रदर्शन स्थल के आसपास पानी और खाने की बिक्री पर रोक लगा दी तो कई कोचिंग शिक्षकों ने अपनी तरफ से हजारों छात्रों के लिए खाने और पानी का इंतेजाम किया। हजारों युवा छात्रों का ये आंदोलन कहीं हिंसक ना हो जाए, इस संभावना को रोकने के लिए भी कई शिक्षक छात्रों के आंदोलन में अभिभावक की भूमिका निभा रहे थे।
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एसएससी चेरमैन के इस पत्र से जो सबसे बड़ा सवाल खड़ा होता है, वह यह है कि इस मामले में जिसके खिलाफ जांच होनी है, वही सीबीआई के लिए जांच के बिंदू कैसे तय कर सकता है। इस मामले में छात्रों का आरोप एसएससी के खिलाफ है, तो जांच एसएससी और उससे जुड़े लोगों के खिलाफ होनी चाहिए। लेकिन खुराना के पत्र से लग रहा है कि मामले में जिस सीबीआई जांच की बात की जा रही है, वह परीक्षा में धांधली के आरोपों की नहीं बल्कि छात्रों के आंदोलन में शामिल लोगों की होगी। वहीं खुराना के इस पत्र से इस आशंका को भी बल मिलता है कि कहीं आंदोलन को खत्म कराने के लिए केंद्र सरकार और एसएससी ने सीबीआई जांच का महज दिखावा तो नहीं किया है।
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इस बीच दिल्ली में छात्रों का आंदोलन अभी भी जारी है। एसएससी मुख्यालय के बाहर डटे छात्रों ने 7 मार्च को सामूहिक मुंडन कराकर एसएससी और सरकार के रवैये के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराया। छात्रों की मांग है कि उनका आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक एसएससी की परीक्षा रद्द नहीं की जाती है और सीबीआई जांच की समयसीमा तय नहीं की जाती है। इस बीच छात्रों का आंदोलन तेज होता जा रहा है और ये दिल्ली के बाहर दूसरे शहरों में तीव्र होता जा रहा है। जो साफ बताता है कि छात्र, सरकार और आयोग की कार्रवाई से संतुष्ट नहीं हैं और उन्हें भी आशंका है कि फिलहाल उनके आंदोलन को दबाने की नीयत से इस सीबीआई जांच की घोषणा की गई है।
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