एक दिन पहले नेशनल हेराल्ड पर छपी एक खबर में बताया गया था कि एसएससी ने संदीप नाम के एक छात्र के नाम से 21 प्रवेश पत्र जारी किए थे। लेकिन ये मामला इससे कहीं बड़ा निकला है। स्वराज इंडिया के योगेंद्र यादव ने इस मामले को लेकर प्रेस कांफ्रेंस कर एक बड़ा खुलासा किया है। उन्होंने संदीप नाम के छात्र के नाम से जारी 700 एडमिट कार्ड मीडिया के सामने पेश किया। दिलचस्प बात ये है कि इन सभी एडमिट कार्ड में नाम और फोटो एक ही छात्र यानी संदीप के हैं और इन सभी का परीक्षा केंद्र भी एक ही है। हालांकि, इन प्रवेश पत्रों पर रौल नंबर और पता अलग-अलग दिया गया है।
एसएससी के अध्यक्ष असीम खुराना ने एक साक्षात्कार में स्वीकार भी किया था कि प्रवेश पत्र वास्तव में आयोग द्वारा ही जारी किए गए थे। उन्होंने स्पष्टीकरण दिया था कि आयोग इसमें शामिल अपराधी को पकड़ना चाहता है। एसएससी अध्यक्ष के इस दावे को लेकर योगेंद्र यादव ने सवाल किया कि “क्या एसएससी ने इस मामले में पुलिस में कोई शिकायत दर्ज कराई है?” योगेंद्र यादव ने कहा कि इस मामले में कोई शिकायत नहीं दर्ज कराई गई है।
स्वराज इंडिया ने 9 मार्च को इस मामले में कई ऐसे दस्तावेज जारी किए, जिससे आयोग द्वारा आयोजित की गई परीक्षा और उसमें हुए चयन की जांच जरूरी हो जाती है।
प्रेस कांफ्रेंस के दौरान स्वराज इंडिया पार्टी के अध्यक्ष योगेंद्र यादव ने एक प्रतियोगी छात्र और खुद को आयोग का कर्मचारी बताने वाले एक शख्स के बीच बातचीत का ऑडियो क्लिप जारी किया, जिसमें वह कर्मचारी परीक्षा में 39 नंबर लाने वाले छात्र से पास कराने के लिए 50,000 रुपये की मांग कर रहा है।
Published: 09 Mar 2018, 10:38 PM IST
ऑडियो में छात्र के यह कहने पर की उसके कई दोस्तों को भी इसी तरह के फोन आ रहे हैं, जबकि एसएससी ने परीक्षा परिणाम की पुष्टी करने से इंकार किया है, आरोपी कर्मचारी अपना आपा खोते हुए कहता है, “मुझे सिर्फ इतना बताओ कि तुम परीक्षा में पास होना चाहते हो या नहीं।” वह व्यक्ति आगे कहता है, “जब तुम रुपये देने के लिए तैयार हो जाओगे तो एक वरीय अधिकारी तुमसे संपर्क करेगा और तुम निश्चित रूप से उत्तीर्ण हो जाओगे।”
यू ट्यूब पर एक अन्य छात्र द्वारा 13 फरवरी को इसी तरह का एक अन्य वीडियो जारी किया गया था।
Published: 09 Mar 2018, 10:38 PM IST
स्वराज इंडिया पार्टी के प्रमुख ने जोर देते हुए कहा, “यह ऑडियो क्लिप ये साबित करने के लिए साक्ष्य नहीं हो सकता है कि एसएससी एक भ्रष्ट संस्था है। लेकिन अगर कोई उसके नाम पर इस तरह का काम कर रहा है तो क्या यह आयोग के लिए अनिवार्य नहीं हो जाता है कि वह एफआईआर दर्ज कराए और इस मामले की जांच कराए।”
Published: 09 Mar 2018, 10:38 PM IST
स्वराज इंडिया ने एक और बड़ी अनियमितता को उजागर करते हुए बताया कि एसएससी-एमटीएस (मल्टी टास्क स्टाफ) परीक्षा मूल रूप से 2016 में प्रारंभ हुआ था। दो स्तरों में आयोजित प्रारंभिक परीक्षा 2016 में पूरी हो गई थी, लेकिन मुख्य परीक्षा 2017 में आयोजित की गई थी। लेकिन, टीयर-।। (मुख्य) परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाओं की जांच से पहले ही एसएससी ने उम्मीदवारों को अपने दस्तावेज सत्यापित कराने के लिए नोटिस जारी कर दिया। और फिर मुख्य परीक्षा का परिणाम जारी करने से पहले ही प्रारंभिक परीक्षा के परिणाम के आधार पर ही आयोग ने भर्ती करना शुरू कर दिया।
इसपर योगेंद्र यादव ने सवाल उठाते हुए कहा, “जब परीक्षा 2016 में प्रारंभ हुआ और यह प्रक्रिया 2018 में भी जारी है तो फिर आखिर एसएससी ने अचानक से इतनी जल्दबाजी क्यों दिखाई।”
Published: 09 Mar 2018, 10:38 PM IST
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Published: 09 Mar 2018, 10:38 PM IST