केंद्र सरकार ने 31 अगस्त को अचानक 18 से 22 सितंबर के बीच संसद का विशेष सत्र बुलाने का ऐलान किया था। उस समय सरकार ने इस बात की विपक्ष को जानकारी नहीं दी थी कि आखिर विशेष सत्र क्यों बुलाया गया है। साथ ही सरकार ने विशेष सत्र को लेकर विपक्ष से चर्चा भी नहीं की थी। जबकि सरकार को ऐसा करना चाहिए था। विशेष सत्र का एजेंडा नहीं बताने पर विपक्ष लगातार सरकार को घेर रहा था और सरकार से यह मांग कर रहा था कि वह बताए आखिर संसद के विशेष सत्र का आकिर एजेंडा क्या होगा? अब सरकार ने इस बात की जानकारी दे दी है कि विशेष सत्र का क्या एजेंडा होगा। सरकार ने बताया कि सत्र के दौरान चुनाव आयोग से जुड़े बिल समेत 4 विधेयक संसद में पेश किए जाएंगे।
संसद का विशेष सत्र का एजेंडा बताते हुए सरकार ने कहा कि देश की आजादी के बाद संविधान सभा के गठन से लेकर 75 सालों तक की देश की यात्रा, उसकी उपलब्धियों, अनुभवों, स्मृतियों और सीख पर चर्चा भी की जाएगी। आइए अब आपको बताते हैं कि उन चार विधेयकों में आखिर क्या है, जिसके लिए सरकार विशेष सत्र लाने जा रही है।
Published: undefined
सरकार ने मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति की प्रक्रिया में बदलाव करने के मकसद से मानसून सत्र के दौरान राज्यसभा में एक विधेयक पेश किया था। बिल विवादास्पद बताया जा रहा है। कहा जा रहा है कि बिल में शक्ति का संतुलन एक तरफा है, जिससे चुनाव आयुक्त निष्पक्ष नहीं रह जाता है। ऐसे में विपक्ष का कहना है कि अगर यह बिल पास हुआ तो इसकी निष्पक्षता सवालों के घेरे में रहेगी, क्योंकि चुनाव आयोग पर एकतरफ नियंत्रण देश की चुनावी प्रक्रिया को बाधा पहुंचाएगा। चुनावों में पारदर्शिता नहीं रह जाएगी।
विधेयक पर सरकार ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 324 में कोई संसदीय कानून नहीं था, इसलिए सरकार अब इस समस्या को खत्म करने के लिए इस विधेयक का निर्माण कर रही है। इस बिल की विशेषताओं की बात करें तो इसके अध्यक्ष प्रधानमंत्री होंगे। सदस्य के तौर पर लोकसभा के नेता विपक्ष (यदि लोकसभा में विपक्ष के नेता को मान्यता नहीं दी गई है, तो लोकसभा में सबसे बड़े विपक्षी दल का नेता यह भूमिका निभाएगा)। प्रधानमंत्री एक सदस्य के तौर पर एक केंद्रीय कैबिनेट मंत्री को नामित कर सकेंगे।
Published: undefined
एडवोकेट संशोधन विधेयक 2023 को केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने मानसून सत्र के दौरान राज्यसभा में पेश किया था, जहां इस पर चर्चा की जानी थी। बिल में अपनी उपयोगिता खो चुके सभी अप्रचलित कानूनों को या फिर स्वतंत्रता पूर्व से पहले के अधिनियमों को निरस्त करने के लिए केंद्र सरकार लोकसभा में पेश करेगी। बिल में लीगल प्रैक्टिशनर्स एक्ट, 1879 को निरस्त करने का फैसला किया गाय है। अधिवक्ता अधिनियम, 1961 को भी संशोधित किया जाएगा।
विधेयक के मुताबिक, प्रत्येक हाईकार्ट‚जिला न्यायाधीश‚सत्र न्यायाधीश‚जिला मजिस्ट्रेट और राजस्व अधिकारी (जिला कलेक्टर के पद से नीचे नहीं) दलालों की सूची बना और प्रकाशित कर सकते हैं। कानून की पढ़ाई और कानूनी प्रशासन में जरूरी बदलाओं के लिए भी सरकार अहम कदम उठा सकती है।
Published: undefined
मानसून सत्र के दौरान सरकार ने प्रेस और आवधिक पंजीकरण विधेयक, 2023 को राज्यसभा से पास करा लिया था। अगर यह बिल लोकसभा से पास हो जाता है तो डिजिटल मीडिया भी रेग्युलेशन के दायरे में आएगा। विधेयक में प्रेस का संचालन नहीं करने के लिए कई दंडात्मत प्रावधानों को हटा दिया गया है। अगर आप अपना अखबार शुरू करना चाहते हैं तो आप जिला कलेक्टर के पास आवेदन कर सकते हैं।
Published: undefined
डाकघर विधेयक 2023, 10 अगस्त, 2023 को राज्यसभा में पेश किया गया था। यह 1898 में बने पुराने अधिनियम की जगह लेगा। यह बिल डाक घर को पत्र भेजने के साथ-साथ पत्र प्राप्त करने, एकत्र करने, भेजने और वितरित करने जैसी आकस्मिक सेवाओं के विशेषाधिकार को खत्म करता है। विधेयक में किए गए प्रवधान के मुताबिक, डाकघर खुद का विशिष्ट डाक टिकट जारी कर सकेंगे।
यह अधिनियम पोस्ट के माध्यम से भेजे जाने वाले शिपमेंट को रोकने की अनुमति देता है। किसी भी आपात स्थिति में सुरक्षा और शांति के मद्देनजर पोस्ट ऑफिस के कुछ शीर्ष अधिकारियों को यह अधिकार होगा कि वह किसी शिपमेंट को ओपन करें, उसे रोकें या फिर नष्ट कर दें।
Published: undefined
Google न्यूज़, नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें
प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia
Published: undefined