कांग्रेस संसदीय दल की प्रमुख सोनिया गांधी ने पीएम मोदी और केंद्र सरकार पर बड़ा हमला बोला है। द हिंदू में लिखे अपने लेख में सोनिया गांधी ने कई मुद्दों पर पीएम मोदी को घेरा है। उन्होंने लोकसभा चुनाव में बीजेपी की कम आई सीटों को लेकर पीएम मोदी की हार बताया है। बीजेपी की कम सीटें आना पीएम की राजनीतिक और नैतिक हार है।
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सोनिया गांधी ने एक अखबार में लिखे आर्टिकल में कहा कि खुद को ईश्वरीय शक्ति घोषित करने वाले पीएम मोदी के लिए ये चुनाव परिणाम उनकी घृणा की राजनीति को अस्वीकार करना था। सोनिया गांधी ने साल 1975 में लगाई गई इमरजेंसी के बाद 1977 में हुए चुनाव का भी जिक्र किया है और बताया है कि कैसे आमजन ने अपना फैसला सुना दिया था। 1977 के फैसले को हमने बिना किसी हिचकिचाहट के स्वीकार किया इसलिए हम 1980 में दोबारा उस बहुमत से वापस आए जिसे मोदी कभी नहीं पा सके।
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सोनिया गांधी ने पीएम मोदी को घेरते हुए कहा कि वो हमेशा टकराव का रास्ता अख्तियार करते हैं। सरकार की तरफ से जब हमसे स्पीकर चुनाव में समर्थन की मांग की गई तो हमने कहा कि परंपरा के मुताबिक उपाध्यक्ष का पद विपक्ष को मिलना चाहिए, लेकिन सरकार ने हमारी मांग नहीं मानी।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री परीक्षा पर चर्चा करते हैं, लेकिन NEET पर चुप हैं। इस बीच देश के अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा और उन्हें डराने के मामले अचानक तेज हो गए हैं। बीजेपी शासित राज्यों में सिर्फ आरोप लगने पर ही अल्पसंख्यकों के घरों को बुलडोजर से ध्वस्त किया जा रहा है।
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सोनिया गांधी ने अपने लेख में मणिपुर हिंसा का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि मणिपुर जलता रहा, लेकिन प्रधानमंत्री वहां जाने का समय नहीं निकाल पाए। प्रधानमंत्री के 400 पार के नारे को जनता ने रिजेक्ट किया। इस पर उनको आत्म विश्लेषण करना चाहिए। सोनिया गांधी ने कहा, चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री ने अपनी मर्यादा और जिम्मेदारी को नजरंदाज कर सांप्रदायिक झूठी बातें फैलाई। उनके शब्दों ने सामाजिक तानेबाने को काफी नुकसान पहुंचाया है।
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