सोनभद्र की घोरावल तहसील में बुधवार को हुआ नरसंहार नौकरशाहों और भूमाफिया की मिलीभगत से आदिवासियों की जमीन हड़पने के तिकड़मों का नतीजा है। इलाके में आदिवासी समुदाय के गरीब किसानों की हजारों एकड़ जमीन भूमाफिया ने नौकरशाहों की सांठगांठ से हड़प लिया।
Published: 20 Jul 2019, 10:55 AM IST
नरसंहार की इस घटना में आदिवासी समुदाय के 10 किसानों की हत्या कर दी गई। मामला जमीन हपड़ने से जुड़ा है जहां स्थानीय माफिया के कहने पर आईएसएस अधिकारी ने 600 बीघा जमीन के राजस्व रिकॉर्ड में हेराफेरी कर दी थी। इस जमीन की कीमत 48 करोड़ रुपये से अधिक है।
Published: 20 Jul 2019, 10:55 AM IST
उत्तर प्रदेश के इस आदिवासी इलाके में राजस्व अधिकारियों द्वारा की गई धोखाधड़ी की पड़ताल करने पर पता चला कि हाल के दिनों में सोनभद्र भ्रष्ट नौकरशाहों, राजनेताओं और माफिया डॉन का अड्डा बन गया है जो औने-पौने दाम में जमीन खरीदते हैं। तहसील के उम्भा गांव में जहां बुधवार को नरसंहार की वारदात हुई वहां से महज कुछ सौ गज की दूरी पर स्थित विशंब्री गांव में 600 बीघे का बड़ा भूखंड उत्तर प्रदेश सरकार के चकबंदी विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने हड़प लिया।
Published: 20 Jul 2019, 10:55 AM IST
सोनभद्र स्थित जिला अदालत में वकालत करने वाले जानेमाने वकील विकाश शाक्य ने बताया, “आदिवासी मेरे पास आए और उन्होंने मुझे इस रैकेट से निजात दिलाने के लिए मुकदमा दर्ज करने को कहा। कोर्ट के निर्देश पर की गई जांच में खुलासा हुआ कि चकबंदी अधिकारियों ने राजस्व रिकॉर्ड में हेराफेरी की थी जहां जमीन का मालिक मृत व्यक्ति को बताया गया था। जमीन के असली मालिक को कोर्ट में पेश करने पर साजिश की पोल खुल गई और उसके बाद चकबंदी विभाग के 27 अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई।” विकाश शाक्य ने जमीन की धोखाधड़ी के एक और मामले का जिक्र किया जिसमें राजमार्ग (अल्ट्राटेक सीमेंट फैक्टरी के समीप) स्थित 14 बीघा जमीन के रिकॉर्ड में कानूनगो ने हेराफेरी की है।
Published: 20 Jul 2019, 10:55 AM IST
विकाश शाक्य ने कहा, “कानूनगो ने राजस्व रिकॉर्ड में छेड़छाड़ करके जमीन का पंजीकरण (विगत तारीख में) अपने दो बेटों के नाम कर लिया, जबकि पंजीकरण के समय उनके ये दोनों बेटे पैदा भी नहीं हुए थे।” विडंबना है कि जिन अधिकारियों को आदिवासियों के पक्ष में वन अधिकार अधिनियम और सर्वेक्षण निपटान पर अमल करने की जिम्मेदारी थी वे वर्षो तक गरीब किसानों को धोखा देते रहे।
बीजेपी के पूर्व सांसद छोटे लाल खरवार ने बताया कि बुधवार को हुए हत्याकांड के पीछे जमीन विवाद और भ्रष्ट नौकरशाहों की लॉबी की मुख्य भूमिका है। खरवार ने एक आईएएस अधिकारी के बारे में बताया (नाम का जिक्र नहीं) जिन्होंने कथित रूप से राजस्व अधिकारियों को रिश्वत देकर जमीन अपने परिवार के सदस्यों के नाम करवा ली। बाद में आईएएस अधिकारी ने ग्राम प्रधान यगदत्त के हाथ बेच दी। यगदत्त 10 आदिवासी किसानों की हत्या के अपराध में मुख्य आरोपी है।
Published: 20 Jul 2019, 10:55 AM IST
पूर्व सांसद ने बताया कि कुछ महीने पहले फरवरी 2019 में यगदत्त ने आदिवासी किसानों से जबरन जमीन कब्जाने की कोशिश की थी। हालांकि, शिकायत पर स्थानीय प्रशासन और पुलिस की नींद नहीं खुली। राजस्व रिकॉर्ड में हेराफेरी से जुड़े सैकड़ों दीवानी मुकदमे सोनभद्र की विभन्न अदालतों में लंबित हैं।
Published: 20 Jul 2019, 10:55 AM IST
सामाजिक कार्यकर्ता और हिंदी लेखक विजय शंकर चतुर्वेदी ने बताया कि सोनभद्र की पहाड़ियों में नक्सलियों की पकड़ की एक वजह जमीन विवाद भी है। उन्होंने कहा कि आदिवासी खुद को स्थानीय अधिकारियों द्वारा छले गए महसूस करते हैं। चतुर्वेदी ने बताया, “पंडित (जवाहरलाल) नेहरू 1954 में जब सोनभद्र आए थे तो वह यहां के प्राकृतिक सौंदर्य को देख मंत्रमुग्ध हो गए थे। उन्होंने कहा था कि यह भारत का स्विटजरलैंड है। कालक्रम में यह भष्टाचार का अड्डा बन गया।”
Published: 20 Jul 2019, 10:55 AM IST
उधर, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश विधानसभा को आश्वत करते हुए कहा कि राजस्व रिकॉर्ड की जांच के लिए उच्चस्तरीय समिति का गठन किया गया है। यह समिति आदिवासियों की जमीन हड़पने के लिए जाली प्रविष्टियों की जांच करेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि रैकेट में संलिप्त पाए जाने वाले किसी भी नौकरशाह या राजनेता को बख्शा नहीं जाएगा और उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
Published: 20 Jul 2019, 10:55 AM IST
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Published: 20 Jul 2019, 10:55 AM IST