राजधानी दिल्ली में लद्दाख भवन में जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक और उनके समर्थकों का अनशन रविवार को 15वें दिन भी जारी रहा। रविवार को कई लोग जो समूह में शामिल होकर ‘मौन व्रत’ रखना चाहते थे, उन्हें एकत्र होने की अनुमति नहीं दी गई और दिल्ली पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया। दिल्ली पुलिस ने लद्दाख भवन के चारों ओर बड़े पैमाने पर अवरोधक लगाए हैं जहां पर वांगचुक अनिश्चितकालीन अनशन कर रहे हैं।
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वांगचुक ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर जारी एक पोस्ट में कहा कि यह ‘मौन व्रत’ है, न कि कोई विरोध प्रदर्शन। उन्होंने कहा, ‘‘यह देखकर दुख हुआ कि इस रविवार को मौन व्रत के हमारे आह्वान को कुछ तत्वों द्वारा विरोध प्रदर्शन के रूप में प्रस्तुत किया गया है। कृपया समझें कि हम अपने भविष्य के समर्थन में शांतिपूर्ण उपवास का आह्वान कर रहे हैं।’’
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वांगचुक ने कहा, ‘‘इस पर्यावरण-उपवास पर कृपया न केवल भोजन से, बल्कि बिना सोचे-समझे उपभोक्तावाद से भी दूर रहें। कृपया बिजली, पानी, मशीनों, प्लास्टिक आदि का कम से कम उपयोग करें।’’ उन्होंने लोगों से रविवार को एक दिन का उपवास रखने का आह्वान किया था, जिसमें वे पर्यावरण को बचाने के लिए उपभोक्तावाद का त्याग करेंगे। वांगचुक ने दिल्ली के लोगों से रविवार को लद्दाख भवन में हिमालय और पर्यावरण को बचाने के लिए ‘मौन व्रत’ में शामिल होने का आग्रह भी किया।
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लद्दाख के लगभग 25 लोग छह अक्टूबर से दिल्ली के लद्दाख भवन में अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठे हैं। वे अपनी मांगों पर चर्चा के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सहित शीर्ष नेतृत्व के साथ बैठक की मांग कर रहे हैं। लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने सहित विभिन्न मांगों को लेकर वांगचुक ने अपने समर्थकों के साथ लेह से दिल्ली तक मार्च किया। संविधान की छठी अनुसूची में पूर्वोत्तर भारत के असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम राज्यों के जनजातीय क्षेत्रों के प्रशासन के लिए विशेष प्रावधान शामिल हैं।
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