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सोनम वांगचुक के अनशन के आगे झूकी सरकार, 3 दिसंबर से लद्दाख के समूहों के साथ वार्ता का दिया आश्वासन

लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने सहित विभिन्न मांगों को लेकर लद्दाख के करीब 25 लोग 6 अक्टूबर से दिल्ली के लद्दाख भवन में अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठे थे। वे अपनी मांगों को लेकर पीएम मोदी सहित शीर्ष नेतृत्व से मुलाकात की मांग कर रहे थे।

सोनम वांगचुक के अनशन के आगे झूकी सरकार, 3 दिसंबर से लद्दाख के समूहों के साथ वार्ता का दिया आश्वासन
सोनम वांगचुक के अनशन के आगे झूकी सरकार, 3 दिसंबर से लद्दाख के समूहों के साथ वार्ता का दिया आश्वासन फोटोः वीडियोग्रैब

दिल्ली के लद्दाख भवन में पिछले 16 दिन से अनशन पर बैठे जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक और उनके साथियों ने सोमवार को गृह मंत्रालय से मिले आश्वासन के बाद अपना आंदोलन समाप्त कर दिया। गृह मंत्रालय ने उन्हें लद्दाख की मांगों पर 3 दिसंबर से बातचीत शुरू करने का आश्वासन दिया है।

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इससे पहले गृह मंत्रालय के संयुक्त सचिव (जम्मू कश्मीर और लद्दाख) प्रशांत लोखंडे ने लद्दाख भवन में वांगचुक और अन्य कार्यकर्ताओं से मुलाकात की और उन्हें गृह मंत्रालय का एक पत्र सौंपा। कार्यकर्ता छह अक्टूबर से दिल्ली के लद्दाख भवन में अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठे थे। पत्र में कहा गया कि लद्दाख के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत कर रही मंत्रालय की उच्चाधिकार प्राप्त समिति अगली बैठक तीन दिसंबर को करेगी। इसके बाद वांगचुक और उनके समर्थकों ने अपना अनशन तोड़ने का फैसला किया।

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जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक ने कहा कि हमें यह बताते हुए खुशी हो रही है कि गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने लद्दाख के संयुक्त सचिव के साथ मिलकर मंत्रालय की ओर से एक पत्र सौंपा है, जिसमें कहा गया है कि लद्दाख की सर्वोच्च संस्था और केडीए (कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस) के साथ केंद्र की बातचीत जो रुकी हुई थी, वह 3 दिसंबर को फिर से शुरू होगी। यह हमारी मुख्य मांग थी जो पूरी हो गई है। अब हमें उम्मीद है कि दोनों पक्षों की ओर से सकारात्मक और ईमानदार बातचीत होगी।

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सोनम वांगचुक के नेतृत्व में लद्दाख के लगभग 25 लोग छह अक्टूबर से दिल्ली के लद्दाख भवन में अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठे थे। वे अपनी मांगों पर चर्चा के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सहित शीर्ष नेतृत्व के साथ बैठक की मांग कर रहे थे। वांगचुक और उनके समर्थक लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग कर रहे हैं। संविधान की छठी अनुसूची में पूर्वोत्तर भारत के असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम राज्यों के जनजातीय क्षेत्रों के प्रशासन के लिए विशेष प्रावधान शामिल हैं।

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