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राजीव गांधी के विचार जिन्हें अगर समझे आज की सत्ता तो शायद कुछ सीख पाए...

राजीव गांधी ने समय-समय पर जो बातें कहीं, वे आज भी सामयिक हैं। वे जानते थे कि आने वाले दिनों में किस तरह की चुनौतियों से देश को जूझना पड़ सकता है और उससे निबटने के लिए क्या कुछ किया जाना चाहिए। आज की सत्ता अगर इन्हें गंभीरता से समझे तो बहुत कुछ सीख सकती है।

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विज्ञान, टेक्नोलॉजी पर जोर

(5 जनवरी, 1985 को रेडियो और टीवी पर प्रसारित)

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हमें शिक्षा पर बहुत जोर देना है। शिक्षा हमें इस्तेमाल करनी है भारत की एकता बढ़ाने में, भारत की अखंडता बढ़ाने में। हमारी शिक्षा की संस्थाओं में भारत की नई पीढ़ी को भारत की आजादी की लड़ाई के बारे में सिखाया जाए। हर विद्यार्थी को पता हो कि आजादी की लड़ाई कैसे लड़ी गई थी और भारत कैसे आजाद हुआ था। हमें देखना है कि शिक्षा में नए तरह का विज्ञान, नई टेक्नोलॉजी लाई जाए लेकिन यह लाते हुए भारत की परंपरा, भारत की संस्कृति न छूट जाए। हमारी शिक्षा की संस्थाओं पर हमें खास ध्यान देना है। आज की पीढ़ी को पुराने मूल्य सिखाने हैं। उसे करने के लिए मैंने शिक्षा मंत्रालय को कहा है कि एक नई शिक्षा की पॉलिसी बनाएं। हमारी उम्मीद है कि यह जल्दी से तैयार होगी। हम कोशिश करेंगे कि हमारे स्कूलों में शिक्षा देने के लिए नई-से-नई संचार टेक्नोलॉजी इस्तेमाल की जाए। हम देख रहे हैं कि नौकरी से डिग्री अलग हो सके, तो यह भी हो जाए। हम एक ओपन यूनिवर्सिटी शुरू करेंगे जिससे घर बैठे-बैठे बहुतों को शिक्षा मिल सके, बजाय कि वे यूनिवर्सिटी जाएं। हमारी कोशिश होगी कि हमारे जो केंद्रीय विद्यालय हैं, वे और ज्यादा हों। वे बढ़िया हों। इसमें हर जिले से दूसरे स्कूलों को रास्ता दिखाएं। हम देख रहे हैं कि किस तरह से ऐसी शिक्षा मिले जिससे एकदम काम मिल जाए। दुनिया को भारत ने एक नया रास्ता दिखाया है। हम इसी रास्ते पर चलेंगे।

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विचारधाराएं हैं महत्व की

(श्रीमती इंदिरा गांधी की शहादत के बाद 19 नवंबर, 1984 को नई दिल्ली में बोट क्लब पर भाषण)

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इंदिरा जी की ताकत आज भी हमारे साथ है। हमारे देश को मजबूत कर रही है। हमारे देश को आगे बढ़ा रही है। जब कोई व्यक्ति इतना आगे बढ़ जाता है, तो उसके शरीर से इतना मतलब नहीं होता जितना उसकी विचारधाराओं से, उसकी नीतियों से मतलब होता है। हमें सोचना है कि इंदिरा जी क्या दे गईं हमारे देश को। उन्होंने कैसी लड़ाई लड़ी अपने 17 साल तक प्रधानमंत्री होने में और उससे पहले कांग्रेस में, देश की आजादी की लड़ाई में। आज जब हम सोचते हैं कि हमारा देश कहां पहुंचा है, जब हम देखते हैं कि दूसरे देशों में क्या हो रहा है और फिर हम अपने देश को देखते हैं, तो हमें अपने देश की ताकत दिखाई देती है। दुनिया की सब शक्तियों ने कोशिश की कि भारत हिल जाए। इंदिरा जी की जो हत्या हुई, वह खाली एक व्यक्ति को हटाने के लिए नहीं हुई। वह भारत में भारत को टुकड़े-टुकड़े करने के लिए हुई। भारत में आपसी झगड़े बढ़ाने के लिए हुई। लेकिन हमने दुनिया को दिखाया कि जो नींव गांधी जी ने, पंडित जी ने, इंदिरा जी ने रखी, वह इतनी कमजोर नहीं है कि हमारा देश एक हत्यारे की गोली से टूट सकेगा। हमने दुनिया को दिखाया कि यह देश उनकी गोलियों से बहुत ज्यादा मजबूत है। हमने दुनिया को दिखाया कि चाहे वह कितना भी दबाव डालें, हमारा देश उनके दबाव के नीचे आने वाला नहीं है। आज आजादी के 37 वर्ष बाद हम गौरव से कह सकते हैं कि हमारा देश हर तरह से आजाद है, कितने और देश यह कह सकते हैं? आप दुनिया में देखिए, दूसरे विकासशील देशों को देखिए, चाहे हमारे पड़ोस में देखें, चाहे एशिया, अफ्रीका, अमेरिका के देशों में देखें। बहुत कम देश हैं जिनमें लोकतंत्र है। और जो सचमुच में आजादी से दुनिया में अपनी आवाज उठा सकते हैं, उनमें से भारत एक है।

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हम क्यों कर पाए तरक्की

(15 अगस्त, 1985 को लाल किले की प्राचीर से)

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पिछले 38 साल में हमने बहुत तरक्की की है। इन सालों में हमने करीब 63 प्रतिशत जनता को गरीबी रेखा से ऊपर उठा दिया है। इन सालों में एक नया मध्य वर्ग भारत में पैदा हुआ है। अनाज में हम आत्मनिर्भर हुए हैं। हमारा विज्ञान, हमारी टेक्नोलॉजी, हमारी स्वाधीन विदेश नीति, हमारा लोकतंत्र, हमारी आजादी और हमारी धर्मनिरेपक्षता- ये सब बातें इस तरह से हम बना पाए हैं, बढ़ा पाए हैं कि पूरी दुनिया आश्चर्य से देखती है कि एक विकासशील देश कैसे ये बातें कर पाया है। और यह हमने किया है, तीन-चार बड़े युद्धों का मुकाबला करके। हमने किया है भारत की एकता और अखंडता बचाकर। हम कर पाए हैं क्योंकि गांधी जी ने, पंडित जी ने, इंदिरा जी ने हमें ठीक रास्ते पर रखा। पंडित जी ने यह शुरू किया। बड़े-बड़े बांध बनाकर, बड़े-बड़े कारखाने बनाकर, विज्ञान को ऊपर उठाकर। उन्होंने अपना लक्ष्य भारत के गरीबों पर, भारत के किसानों पर रखा था। विज्ञान से, टेक्नोलॉजी से हमारे किसान अपनी पैदावार बढ़ा पाए। हमारे किसानों ने हमारे अनाज को तिगुना किया। आज इसीलिए हमारी आजादी बची है। इसीलिए हम गौरव से सीधे खड़े होकर दुनिया का मुकाबला कर पाते हैं।

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